सार

मिड-डे-मील में नमक रोटी खिलाने की तस्वीर को दुनिया के सामने लाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल कैंसर से जंग हार चुके हैं। वह लंबे समय से इस बीमारी से जूझ रहे थे। इस बीच उनके परिवार की आर्थिक हालत भी काफी बिगड़ चुकी है।

मिर्जापुर: बीमारी और आर्थिक तंगी से परेशान पत्रकार पवन जायसवाल आखिरकार काल के गाल में समा गया। गुरुवार सुबह ही उन्होंने आखिरी सांस ली। पिछले साल ही उनके मुंह में कैंसर की पुष्टि हुई थी। पवन जायसवाल उस दौरान चर्चा में आए जब उन्होंने मिड डे मील में नमक रोटी खिलाने की तस्वीर को सबके सामने लाने का प्रयास किया। हालांकि उसके बाद जब उनके मुंह में कैंसर की पुष्टि हुई तो परिवार पर संकट के बादल छा गए। जब उनके निधन की सूचना सभी को मिली तो लोगों में शोक की लहर दौड़ गई।

कई लोग मदद के लिए आए थे सामने 
कैंसर से जूझते पत्रकार का मामला सामने आने के बाद उनकी मदद के लिए भी कई लोग सामने आए थे। पवन बीमारी के बढ़ने के बाद एपेक्स अस्पताल में भर्ती थे। उनका इलाज चल रहा था। हालांकि इस बीच उनके इलाज के लिए उनकी मां और पत्नी ने जेवर तक बेंच दिए थे। इसके बाद भी इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में पैसे नहीं इकट्ठा हो पाए। पवन के मुंह में कैंसर का पता भी तब लगा जब कई सालों की दिक्कत के बाद उन्होंने डॉक्टरों की सलाह पर बायोप्सी करवाई। समस्या पता होने के बाद भी पवन ने कैंसर से मुकाबला करना तय किया। सितंबर 2021 में उनका ऑपरेशन हुआ। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद जब वह वापस घर आए तो मर्ज फिर से बढ़ गया। 

गले तक फैल गया था इंफेक्शन
इसी साल जब मार्च में फिर से पवन को दिक्कत हुई तो डॉक्टर को दिखाया गया। जांच के बाद इंफेक्शन के गले तक पहुंचने की बात सामने आई। डॉक्टरों की सलाह पर फिर से ऑपरेशन किया गया। इस बीच आर्थिक तौर पर पूरी तरह से टूट चुके पवन की मदद के लिए कई पत्रकार साथी भी आगे आए। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया न जा सका। 

नमक रोटी परोसे जाने की तस्वीर से दुनिया को कराया था रूबरू
पवन ने 22 अगस्त 2019 को जमालपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय सिउर में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की तस्वीर दुनिया के सामने लाई थी। मिड-डे-मील के इस मामले के उजागर करने के बाद प्रशासन की ओर से दोषियों पर कार्रवाई भी की गई थी। इसी के साथ पवन के खिलाफ भी आईपीसी की धार 120बी, 186, 193 और 420 की धारा लगाई गई थी। हालांकि बाद में पत्रकार को इस पूरे मामले में क्लीन चिट मिल गई थी। 

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