सार
यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जिला प्रशासन एमएलसी चुनावों की तैयारियों में जुटा है। एमएलसी चुनावों के प्रशासन ने खास प्रबंध किए हैं। अपराधिक छवि वाले लोग निरक्षर वोटरों के सहायक नहीं बन पाएंगे। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस निरक्षर वोटरों के सहायकों का सत्यापन करेगी।
सुमित शर्मा
कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जिला प्रशासन एमएलसी चुनावों की तैयारियों में जुटा है। एमएलसी चुनावों के प्रशासन ने खास प्रबंध किए हैं। अपराधिक छवि वाले लोग निरक्षर वोटरों के सहायक नहीं बन पाएंगे। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस निरक्षर वोटरों के सहायकों का सत्यापन करेगी। अपराधिक इतिहास मिलने पर सहायक नहीं बनने दिया जाएगा। कानपुर में 105 निरक्षर वोटर हैं। इसके साथ ही पुलिस हर एक गतिविधि पर नजर बनाए हुए है।
जिला प्रशासन कर रहा तैयारी
कानपुर डीएम नेहा शर्मा और पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने एमएलसी चुनावों को लेकर योजना तैयार की है। कानपुर-फतेहपुर एमएलसी सीट पर चुनाव होने है। बीजेपी ने प्रांशूदत्त द्धिवेदी और एसपी ने दिलीप सिंह उर्फ कल्लू यादव को उतारा है। अधिकारियों की तरफ से संवेदनशील कल्यानपुर मतदान जैसे केंद्रों पर सर्तकता बरतने के निर्देश दिए हैं।
कानपुर के 12 मतदान केंद्रों पर 12 अप्रैल को मतदान होने हैं। एमएलसी चुनावों में चुने हुए मतदाता वोटिंग में हिस्सा लेते हैं। इस स्थिति में वोटरों की सुरक्षा भी पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। जिला प्रशासन पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने की जिम्मेदारी है। एमएलसी चुनावों में बीजेपी और एसपी के बीच कांटे की टक्कर है।
बीजेपी-एसपी ने झोंकी ताकत
जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि निरक्षर वोटरों के साथ आने वाले सहायकों के चरित्र का सत्यापन पुलिस करेगी। यदि सहायक का अपराधिक इतिहास पाया जाएगा, तो उन्हे निरक्षर वोटरों का सहायक नहीं बनने दिया जाएगा। बीजेपी और एसपी एमएलसी चुनावों पूरी ताकत झोंक रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी वोटरों से संपर्क कर गोलबंदी बनाने में जुटे हैं।
2016 में एसपी के खाते में थीं सीटें
यूपी विधान परिषद चुनाव 2016 में कानपुर-बुंदेलखंड की चारों सीटों पर एसपी का कब्जा था। कानपुर-फतेहपुर सीट से एसपी के दिलीप सिंह उर्फ कल्लू यादव एमएलसी बने थे। इटावा-फर्रूखाबाद सीट से पुष्पजैन उर्फ पम्पी एमएलसी बने थे। बांदा-हमीरपुर से एसपी के रमेश मिश्रा एमएलसी बने थे। झांसी-जालौन-ललितपुर से एसपी की रमा निरंजन जीती थीं। लेकिन 2016 के बाद से यूपी का समीकरण बदल चुका है। जिसका फायदा बीजेपी उठाने की फिराक में है।