सार
कानपुर हिंसा के 2 आरोपी तकरीबन 2 माह जेल में रहने के बाद रिहा किया गए। सीसीटीवी की मदद से वह बेगुनाह साबित हुए। इसी के साथ 4 अन्य आरोपियों को भी आने वाले समय में रिहा किया जाएगा।
कानपुर: जनपद में 3 जून को हुई हिंसा के मामले में पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। मामले में 62 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पकड़े गए लोगों को पुलिस निर्दोष बता रही है। मामले में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से एसआईटी का गठन भी किया गया है। इस टीम को ही निर्दोष और दोषी का पता लगाना था। एसआईटी जांच में पता लगा है कि 6 लोग निर्दोष पाए गए हैं और इन पर दंगों का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया था। हालांकि इसमें से पुलिस ने दो लोगों को कोर्ट ने 169 की कार्रवाई के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। जबकि 4 अन्य लोगों को भी पुलिस 169 की कार्रवाई के बाद रिहा करेगी।
4 जून को लिखा-पढ़ी के बाद भेजे गए थे जेल
एसआईटी की जांच के बाद जिन दो लोगों को रिहा किया गया उसमें मोहम्मद शानू और सारिक का नाम है। सीसीटीवी फुटेज में पता चला कि मोहम्मद शानू घटना के वक्त घर के बाहर ही मौजूद था। जब हिंसा हुई तो सारिक भी अपने घर पर ही मौजूद था और वह भी सीसीटीवी कैमरे की वजह से बच गया। मामले में निर्दोष दोनों ही लोगों को रिहा कर दिया गया है। मोहम्मद शानू ने बताया कि पुलिस ने उसे 5 जून को थाने बुलवाया था। यहां से उसे कोतवाली ले जाकर लिखा-पढ़ी की गई और फिर जेल भेज दिया गया। इसी तरह से सारिक के साथ में भी हुआ। 4 जून को उसे भी पुलिस ने बुलाया और लिखा-पढ़ी कर जेल भेज दिया। सारिक ने बताया कि वह आज तक कभी थाने नहीं गया था लेकिन इस मामले में बेवजह उसे जेल काटनी पड़ी। हालांकि वह इस बात से खुश हैं कि पुलिस ने उन्हें निर्दोष मानकर रिहा कर दिया है।
4 अन्य कैदी भी एसआईटी जांच में निर्दोष साबित
इस बीच जेल अधीक्षक बीडी पांडे ने जानकारी दी कि अन्य चार कैदी जो जेल में दंगे के आरोप में बंद हैं और उन्हें एसआईटी ने निर्दोष बताया है उसमें मोहम्मद सरताज, सरफराज, मोहम्मद अकील और मोहम्मद नासिर है। जो आदेश अभी आया है उसमें संशोधन होना है और उसके बाद दस्तावेज कोर्ट भेजे जाएंगे। जल्द ही उनकी रिहाई भी की जाएगी।
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