सार
यूपी की राजधानी लखनऊ में यजदान बिल्डिंग के धवस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हो गई है। आवंटियों की तरफ से दाखिल याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट ने बिल्डिंग ध्वस्तीकरण पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया था। बता दें कि यह बिल्डिंग नजूल की जमीन पर बनाई गई थी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यजदान बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बता दें कि बीते दिन बिल्डिंग को जमीदोंज करने पर हाइकोर्ट ने रोक लगा दी थी। वहीं आवंटियों की तरफ से दाखिल याचिका पर लखनऊ हाई कोर्ट ने बिल्डिंग ध्वस्तीकरण पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया था। बता दें कि यजदान अपार्टमेंट के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। वहीं बिल्डिंग को ध्वस्त करने की कार्रवाई से निराश आवंटियों ने कहा कि अपनी कमियों को छिपाने के लिए एलडीए ये कार्रवाई कर रहा है।
फ्लैट मालिकों ने मांगे अपने पैसे
बता दें कि इस अपार्टमेंट में 40 फ्लैट हैं। जिनमें से कुछ फ्लैट बिक चुके हैं। एक फ्लैट मालिक का कहना है कि इस बिल्डिंग में उनके तीन फ्लैट हैं। ऐसे में जब बिल्डिंग को जमींदोज किया जा रहा है तो हमें हमारा पैसा वापस दे देना चाहिए। फ्लैट मालिक ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर यह बिल्डिंग अवैध तरीके से बनी थी तो रेरा ने इस बिल्डिंग का रजिस्ट्रेशन कैसे किया? साथ ही यह कैसे संभव है कि एलडीए को इस अपार्टमेंट की असलियत का पता करने में 5-6 साल लग गए। सीधे तौर पर इसका जिम्मेदार एलडीए हैं। बता दें कि कोर्ट की तरफ से दोनों पक्षों को 2 सप्ताह का समय दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी एलडीए मनमानी कर अपनी कार्रवाई कर रहा है।
नजूल की जगह पर बनाई गई थी बिल्डिंग
बता दें कि यह बिल्डिंग नजूल की जमीन पर बनाई गई थी। वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा यजदान अपार्टमेंट गिराए जाने पर अतिरिक्ति सचिव ज्ञानेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्होंने प्राधिकरण के सामने नक्शा पेश किया था। लेकिन इसके बाद भी निर्माण कार्य को रोका नहीं गया। उन्होंने कहा कि जब एनओसी मिली थी तो ऐसा नहीं करना चाहिए था। अपार्टमेंट में रहने वाले फैजल ने बताया कि रेरा से प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद उन्होंने अपनी जीवन भर की यहां पर कमाई लगा दी। वहीं कुछ लोगों ने यहां पर फ्लैट लेने के लिए कर्जा भी लिया है। इसके LDA के अधिकारी भी बराबर के कुसूरवार हैं।