सार

श्रीबांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर स्थानीय लोगों की नाराजगी देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में स्थानीय लोगों ने खून से सीएम योगी को पत्र लिखा। लोगों ने चेतावनी दी है कि वह शासन-प्रशासन की मनमानी नहीं चलने देंगे। 

मथुरा: वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर पर प्रस्तावित कॉरिडोर का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को विद्यापीठ चौराहे पर ब्रजवासियों का धरना प्रदर्शन जारी है। धरने में शामिल होने के लिए आए लोगों ने सीएम योगी ने नाम पर खून से पत्र लिखा। 

व्यापारियों ने भी जताई नाराजगी 
धरने में शामिल लोगों ने सीएम योगी से अपील करते हुए लिखा कि कॉरिडोर न बनवाया जाए। इस पत्र को लिखने में गोविंद खंडेलवाल, अमित गौतम, मेघ श्याम गौतम, दीपक गोयल, अशोक शर्मा, गणेश गोस्वामी, आशीष वशिष्ठ, नीरज गोस्वामी, श्रीवल्लभ गौतम आदि लोग शामिल रहे। ज्ञात हो कि ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में कॉरिडोर बनाया जाना प्रस्तावित है। रविवार को व्यापारियों ने श्रीबांकेबिहारी मंदिर क्षेत्र का बाजार भी बंद रखा और विरोध जताया।

श्रद्धालुओं को करना पड़ा परेशानी का सामना 
इस बीच सेवायतों के परिवार की महिलाओं के द्वारा मंदिर के चबूतरे पर प्रदर्शन कर सरकार को जमकर कोसा गया। महिलाओं ने कीर्तन करते हुए बिहारी जी रक्षा करें, स्वामी जी रक्षा करो का उद्घोष भी किया। इसके बाद मंदिर तक पैदल मार्च भी निकाला गया। मंदिर के चबूतरे पर कीर्तन कर आराध्य से प्रार्थना की गई। व्यापारियों के द्वारा मंदिर क्षेत्र के दाऊजी तिराहे से लेकर विद्यापीठ चौराहे, दुसायत, स्नेह बिहारी आदि इलाकों के प्रतिष्ठान बंद रखे गए। इसी के साथ उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ आवाज को बुलंद करने की बात कही। इस तरह से बाजार आदि बंद होने के चलते आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक उन्हें खाने-पीने की समाग्री मिलने में भी असुविधा हुई। 

'नहीं समाप्त होने देंगे कुंज की गलियों की पहचान'
साफतौर पर यहां कहा गया कि शासन-प्रशासन की मनमानी को सहन नहीं किया जाएगा। कॉरिडोर बनने के नाम पर वह लोग वृंदावन की प्राचीन गलियों का अस्तित्व समाप्त नहीं होने देंगे। यह विरोध प्रदर्शन उस दौरान तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी बातों को नहीं मान लेती है। वह अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। वृंदावन की कुंज गलियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं यदि यह गलियां ही समाप्त की जाएंगी तो पहचान क्या रह जाएगी? 

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