सार
सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड मामले में एनआइए ने बुलंदशहर से शाहबाज अंसारी को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को असलहों की सप्लाई की थी।
लखनऊ: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपराधी सिंडीकेट मामले में जांच के बाद बड़ी कार्रवाई की है। एनआइए ने बुलंदशहर से मो. शाहबाज अंसारी की गिरफ्तारी की है। मो. शाहबाज उर्फ शहजात को गिरफ्तार करने को लेकर बताया गया कि उसने ही लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को असलहों की सप्लाई की थी। इन्हीं असलहों और गोले-बारूद का इस्तेमाल पंजाबी गायब सिद्धू मूसेवाला की हत्या में हुआ था।
भूमिका संदिग्ध लगने के बाद शुरू हुई थी जांच
एनआइए शाहबाज को बुलंदशहर से गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। आपराधिक सिंडीकेट मामले की जांच में एनआइए की ओर से यह नौवें आरोपित की गिरफ्तारी की गई है। शाहबाज से जुड़े कुछ अन्य संदिग्धों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है। एनआइए की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार शाहबाज बुलंदशहर के खुर्जा नगर क्षेत्र में स्थित शेख साहिबान नगर का निवासी है। शाहबाज से जुड़े अन्य संदिग्धों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है। बताया गया कि पूर्व में हुई छानबीन के दौरान शाहबाज की भूमिका संदिग्ध लगने पर उसके खिलाफ कार्रवाई को लेकर एनआइए ने कदम उठाए थे। जांच में पता लगा कि पंजाबी गायब सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में असलहों की सप्ताई शाहबाज ने ही की थी।
छापेमारी में मिली कई चीजें
एनआइए की टीम के द्वारा 18 अक्टूबर 2022 को शाहबाज के घर की तलाशी ली गई थी। उस दौरान एजेंसी को उसके घर से कई आपत्तिजनक दस्तावेज, लेख, अपराध की कमाई से जुटाई गई संपत्तियों के दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और स्टार ब्रांड की पिस्टल मिली थी। एनआइए की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार लॉरेंस बिश्नोई गिरोह देश के अलग-अलग हिस्सों में कई बड़े हमले और घटनाएं करने की तैयारी में था। फंडिंग के साथ ही युवाओं को गिरोह में शामिल किया जा रहा था। शाहबाज को भी इसी तरह से गिरोह में शामिल किया गया था। दिल्ली की लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल सेल थाने में 4 अगस्त 2022 को एफआइआर दर्ज की गई थी। इसी के बाद आपराधिक सिंडीकेट मामले की जांच एनआइए ने अपने हाथों में ले ली थी। एनआइए के द्वारा 26 अगस्त 2022 को इस मामले में केस दर्ज किया गया था। इस प्रकरण में पूर्व में भी तीन नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। उस बीच सामने आया था कि आपराधिक सिंडीकेट मादक पदार्थों और असलहों की तस्करी से भी रकम जुटा रहा था। उसका मकसद देश में आतंकी घटनाओं को रोकने का था।
20 रुपए के लिए 21 साल तक चला मुकदमा, यात्री के हक में आया फैसला तो रेलवे ने किया ऐसा काम