सार

प्रभु श्री राम की कही जाने वाली अयोध्या भगवान शिव उपासना का भी गढ़ माना जाता है। यहां चारों दिशाओं में पौराणिक शिव मंदिर स्थापित हैं। सरयू तट के किनारे राम की पैड़ी से सटा प्रसिद्ध नागेश्वरनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने की थी। नागेश्वर नाथ मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक सभाजीत तिवारी बताते है। 

अनुराग शुक्ला
अयोध्या: प्रभु श्री राम की कही जाने वाली अयोध्या भगवान शिव उपासना का भी गढ़ माना जाता है। यहां चारों दिशाओं में पौराणिक शिव मंदिर स्थापित हैं। सरयू तट के किनारे राम की पैड़ी से सटा प्रसिद्ध नागेश्वरनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने की थी। नागेश्वर नाथ मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक सभाजीत तिवारी बताते है। महाराज कुश की अंगूठी सरयू में स्नान के दौरान गुम हो गई जो नाग कन्या को मिली और उसने अपने पिता को देते हुए कुश से विवाह की इच्छा जाहिर की। पिता ने इसके लिए भगवान शंकर से प्रार्थना की और वे प्रकट हुए उन्होंने दोनों का विवाह करवाया। इसके बाद सभी ने भोलेनाथ से कहा कि वे यहां वास करें जिससे भक्त उनका दर्शन कर सकें ।इसी के बाद शिव लिंग की विधि- विधान से स्थापना हुई और आज भी लाखों की संख्या में इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।प्रबंधक के मुताबिक यह मंदिर अयोध्या का नाभि केंद्र (सेंट्रल प्वाइंट) भी माना जाता है।

सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच सरयू में स्नान कर लाखों लोगों ने किया दर्शन
सावन के प्रथम सोमवार पर श्रद्धालुओं ने अलसुबह सरयू नदी में स्नान किया और नागेश्वरनाथ सहित अयोध्या के प्रमुख हनुमानगढ़ी राम जन्मभूमि कनक भवन इत्यादि ने दर्शन पूजन किया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही । नगर में लगे दर्जनों सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से लोगों की गतिविधियों को देखा जाता रहा। सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। भारी वाहनों को नगर में रूट डायवर्जन के माध्यम से प्रवेश दिया गया। सरयू नदी में कोई हादसा ना हो इसलिए जल पुलिस की तैनाती की गई है।

मेला शुरू लेकिन नहीं सुधरी व्यवस्थाएं
सावन मेला शुरू होने के बावजूद मेले से संबंधित व्यवस्थाएं सही नहीं की जा सकी। मेला क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखाई पड़ते रहे। इसी के साथ गलियों में श्रद्धालुओं को आने - जाने में काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा ।क्योंकि विकास के कार्यो के कारण मार्ग खोदे गए लेकिन उन्हें बनाया नहीं गया। कुछ मार्गो को बनाने के लिए गिट्टी डाल दी गई लेकिन उन्हें बनाया नहीं गया।

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