सार
केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने यूपी के लखीमपुर खीरी में तराई एलीफैंट रिजर्व स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना के बाद यह देश का 33वां तराई हाथी रिजर्व होगा। वन्यजीव संरक्षण के मामले में तराई हाथी रिजर्व की स्थापना एक मील का पत्थर होगी।
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जल्द ही एक नया हाथी अभ्यारण्य बनने जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने तराई हाथी रिजर्व (TIR) को मंजूरी दे दी है। बता दें कि 3,049.39 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) और पीलीभीत टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। आईजी फॉरेस्ट और एमओएफई में महानिरीक्षक रमेश पान्डेय ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि बीते शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रालय की तरफ से टीआईआर को मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही इस संबंध में एक अंतिम अधिसूचना जारी करेगी। बता दें कि वन्यजीव संरक्षण के मामले में तराई हाथी रिजर्व की स्थापना एक मील का पत्थर होगी।
अप्रैल मे तैयार किया गया था प्रस्ताव
रमेश पान्डेय के अनुसार, डीटीआर अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई गई थी। जिसमें टीईआर के लिए मार्च में सहमति दी गई थी। जिस पर राज्य सरकार ने विस्तृत प्रस्ताव मांगा था। डीटीआर फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि अप्रैल में यह प्रस्ताव तैयार किया गया था और 11 अक्टूबर को इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया था। टीईआर के अस्तित्व में आने के साथ ही डीटीआर यूपी का अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा। इस उद्यान में बाघ, एक सींग वाले गैंडे, एशियाई हाथी और दलदली हिरण होंगे। रमेश पान्डेय ने कहा कि दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अलावा, हाथी रिजर्व में किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य (केडब्ल्यूएस), कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य (केजीडब्ल्यूएस), दुधवा बफर जोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के कुछ हिस्से शामिल होंगे।
मृतक परिवारों को समय पर मिलेगा मुआवजा
तराई हाथी रिजर्व बनने के बाद न केवल जिले के जंगलों में हाथियों की देखभाल बेहतर तरीके से की जा सकेगी बल्कि मानव हाथी संघर्ष में घायलों व मृतक परिवारों को ससमय मुआवजा भी मिल सकेगा। संजय पाठक ने बताया कि दुधवा में हाथी अभ्यारण की स्थापना से उनके संरक्षण के लिए हाथी केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि परियोजना हाथी के तहत प्राप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता का उपयोग दुधवा के शिविर हाथियों के प्रबंधन में किया जाएगा। डीटीआर ने दशकों से विभिन्न घरेलू और सीमा पार गलियारों के माध्यम से जंगली हाथियों को आकर्षित किया है।
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