सार
गौतम बौद्ध नगर की एक अदालत ने विवादास्पद भाजपा नेता संगीत सोम को 2015 में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मद्देनजर सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने का दोषी पाते हुए 800 रुपए का जुर्माना लगाया है।
नोएडा: उत्तर प्रदेश के जिले नोएडा की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता और पूर्व विधायक संगीत सोम को साल 2015 में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मद्देनजर सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। पूर्व बीजेपी विधायक को अखलाक के बिसाहड़ा गांव में सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए आईपीसी की धारा 188 के तहत दोषी ठहराते हुए 800 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला करीब सात साल तक नोएडा की कोर्ट में चला था।
अखलाक की हत्या के बाद गांव में लागू थी धारा 144
दरअसल गौतम बौद्ध नगर के दादरी क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 की रात गोहत्या की सूचना पर हिंसा भड़क गई थी। इसी गांव के रहने वाले 52 वर्षीय अखलाक की 2015 को भीड़ ने कथित तौर पर इस संदेह पर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी कि उसने अपने घर में गोमांस रखा था। उसके बाद गांव के एक मंदिर से लाउड स्पीकर के माध्यम से गोहत्या की सूचना प्रसारित की गई थी। इस घटना के बाद इकत्रित हुई भीड़ ने अखलाक नामक शख्स के घर पर हमला बोल दिया था। उस वक्त भीड़ ने पीट-पीटकर अखलाक की हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं बीच बचाव करने पर उसके बेटे दनिश को भी पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया था। इस हत्या के बाद गांव में धारा-144 लागू कर दी गई।
साल 2013 में अभद्र भाषा का लगा चुका है आरोप
इस दौरान संगीत सोम बीजेपी के सरधना (मेरठ) से विधायक हुआ करते थे। उन्होंने धारा-144 का उल्लंघन करके गांव आए और माहौल भड़काने का प्रयास किया। उसके बाद पुलिस ने आईपीसी सेक्शन-188 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया था। इसी मामले में नोएडा कोर्ट में ट्रायल चला और इस पर फैसला आया। सहायक अभियोजन अधिकारी प्रेमलता यादव का कहना है कि सूरजपुर अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (2) प्रदीप कुमार कुशवाहा ने मंगलवार को उन्हें सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करने के लिए आईपीसी 188 के तहत दोषी पाया और 800 रुपये का जुर्माना लगाया। बता दें कि संगीत सोम पर पहले भी भड़काऊ भाषण देने का आरोप लग चुका है। उन पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से पहले अभद्र भाषा का आरोप लगाया गया था लेकिन एक मुकदमे के बाद एक स्थानीय अदालत ने आरोपों से बरी कर दिया।