सार
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ओम प्रकाश राजभर ने एक बार फिर से अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है। राजभर ने साफ किया कि वह चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का ही समर्थन करेंगे। इस बीच उन्होंने यह भी कहा कि उनका गठबंधन यूं ही बना रहेगा।
लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी के विधायकों और नेताओं के साथ बैठक के बाद लिया गया है जिसमें सभी ने अपनी-अपनी सहमति जताई है। राजभर के इस ऐलान को सपा के बड़ा झटका बताया जा रहा है।
'सीएम योगी ने मांगा समर्थन, गृहमंत्री अमित शाह से भी हुई मुलाकात'
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनसे समर्थन मांगा था। इसको लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई उन्होंने भी द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन की मांग की। इसके बाद हमने (ओम प्रकाश राजभर) द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का फैसला किया है। हालांकि इसके बाद भी हमारा गठबंधन बना रहेगा। आपको बता दें कि यूपी में सुभासपा के मौजूदा समय में 6 विधायक हैं।
राजभर की ओर से किया गया फाइनल ऐलान
गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन को लेकर ओम प्रकाश राजभर लगातार चर्चाओं में हैं। यशवंत सिन्हा के लखनऊ आगमन पर सपा पार्टी कार्यालय में न बुलाए जाने के बाद से ही उनकी बयानबाजी जारी है। इसके बाद राजभर एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लखनऊ आगमन पर सीएम आवास में आयोजित डिनर में भी पहुंचे थे। उसके बाद भी तमाम बयानबाजी उनकी ओर से की गई थी। अब एक बार फिर से उन्होंने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। राजभर के इस ऐलान को अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। एक और शिवपाल यादव पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के साथ ही हैं। इसके बाद अब ओम प्रकाश राजभर की ओर से भी यह फाइनल घोषणा कर दी गई है।
अखिलेश के साथ तल्ख हो चुके हैं रिश्ते
अखिलेश यादव और ओम प्रकाश राजभर के बीच के रिश्तों में इन दिनों तल्खी नजर आ रही है। यूपी चुनाव और फिर उपचुनाव में सपा गठबंधन को मिली हार के बाद राजभर ने अखिलेश यादव को लेकर काफी बयानबाजी की है। उन्होंने अखिलेश को एसी वाला नेता बताया और कमरे से बाहर आकर राजनीति करने तक की नसीहत दी है। हालांकि कई मौकों पर अखिलेश यादव ने इसका पलटवार करते हुए यह तक कहा है कि समाजवादी पार्टी को किसी की नसीहत की जरूरत नहीं है। मौजूदा समय में सपा और सुभासपा के बीच में गठबंधन सिर्फ कहने भर का ही रह गया है। दोनों ही पार्टी के नेताओं की राहें जुदा नजर आ रही हैं।