सार
करीब ढाई बजे घर पहुंचने पर बड़ी बहन ने राकेश टिकैत का तिलक लगाकर स्वागत किया। इससे पहले राकेश टिकैत ने न्याय भूमि समाधि स्थल पहुंचकर चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही इस दौरान उन्होंने कहा कि जमीन और जमीर बिकने नहीं देंगे, एक साल की ट्रेनिंग हुई है, आने वाले समय में जंग होगी। कल के लिए तैयार रहना है।
मुजफ्फरनगर: गाजीपुर बार्डर से बुधवार हवन के बाद रवाना हुआ चौ. राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का फतह मार्च देर रात 1.30 बजे सिसौली पहुंचा। सिसौली में फतह मार्च का हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया गया। राकेश टिकैत व आंदोलनकारी किसानों पर पुष्प वर्षा की गई। करीब ढाई बजे घर पहुंचने पर बड़ी बहन ने राकेश टिकैत का तिलक लगाकर स्वागत किया।
इससे पहले राकेश टिकैत ने न्याय भूमि समाधि स्थल पहुंचकर चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही इस दौरान उन्होंने कहा कि जमीन और जमीर बिकने नहीं देंगे, एक साल की ट्रेनिंग हुई है, आने वाले समय में जंग होगी। कल के लिए तैयार रहना है।
आंदोलन की सफलता पर 383 दिन बाद गाजीपुर बॉर्डर से फतह मार्च लेकर चले भारतीय किसान यूनियन राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का काफिला देर रात किसानों की राजधानी सिसौली पहुंचा। चौ. राकेश टिकैत ने सबसे पहले न्याय भूमि पहुंचकर चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की समाधि पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। किसान भवन पर उन्होंने गांव के किसानों से मुलाकात की। कहा कि अभी संघर्ष का दौर खत्म नहीं हुआ। उन्होंने सभी से एक बार फिर से तैयार रहने का आह्वान किया। 383 दिन तक आंदोलन की बागडोर संभालने वाले चौ. राकेश टिकैत ने सर्वखाप पंचायत में दिये गए अपने भाषणा को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने आंदोलन की सफलता के लिए सर्वखाप की महत्ता का जिक्र किया। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के लाख विरोध के बावजूद एक साल से अधिक समय तक आंदोलन का चलना सर्व खाप की ताकत से ही संभव हो पाया। उन्होंने एक बार फिर किसानों को आर पार की लड़ाई के लिए तैयार रहना को कहा। किसान भवन से राकेश टिकैत सीधे अपने आवास पहुंचे। वहां उनकी बड़ी बहन ने तिलक कर उनका स्वागत किया। परिवार के बच्चों को राकेश टिकैत ने गोद में लेकर प्यार किया।
सिसौली में रहा दीवाली सा माहौल
फतह मार्च पहुंचने तक सिसौली में दीवाली सा माहौल रहा। जैसे ही राकेश टिकैत व आंदोलनकारी किसानों का काफिला सिसौली पहुंचा तो अन्य किसान खुशी से झूम उठे। आंदोलनकारियों पर एक बार फिर से पुष्प वर्षा की गई। देर रात होने के बावजूद लोग घरों के बाहर डटे रहे।