सार
वकील एजाज मकबूल की 217 पेज की याचिका में आखिरी पेज पर कहा गया है कि माननीय न्यायालय ने राहत देने में गलती की है जो कि बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने आदेश जैसा है।
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) । अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। सोमवार को इस याचिका को मौलाना सैय्यद अशद राशिदी ने दाखिल किया है। वह इस विवाद के पक्षकार एम सिद्दीक के कानूनी वारिस हैं। वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत मुस्लिम पक्ष की ओर से राम जन्मभूमि विवाद में जिरह करने वाले सीनियर वकील राजीव धवन को केस से हटा दिया गया है।
राजीव धवन ने किया फेसबुक पर पोस्ट
सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा कि कहा जा रहा है कि मुझे केस से इसलिए हटा दिया गया है, क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं है. जो बिल्कुल बकवास है.' हालांकि इसके पहले उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि 'बाबरी केस के वकील (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) एजाज मकबूल ने मुझे बर्खास्त कर दिया है। ये जमीयत का मुकदमा देख रहे हैं। जमीयत को ये हक है कि वो मुझे केस से हटा सकते हैं, लेकिन मुझे बिना आपत्ति के हटाया गया. अब मैं डाली गई पुनर्विचार याचिका में शामिल नहीं हूं.' जो वायरल भी हो रहा है।
याचिका में दिया गया है यह तर्क
सूत्रों के अनुसार वकील एजाज मकबूल की 217 पेज की याचिका में आखिरी पेज पर कहा गया है कि माननीय न्यायालय ने राहत देने में गलती की है जो कि बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने आदेश जैसा है। माननीय कोर्ट ने हिंदू पक्ष को जमीन देकर 1934, 1949 और 1992 के दौरान हुए अपराधों को पुरस्कार देने की गलती की है। वह भी ऐसे में जब वह (कोर्ट) स्वयं कह चुका है कि यह कार्य गैरकानूनी है।
(फाइल फोटो)