सार
अयोध्या में पौराणिक जलाशयों को फिर से जीवित करने की तैयारी की जा रही है। इसके पहले चरण में 108 कुंडों और कई तालाबों को चिन्हिंत किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कई सोर्सेज से बजट का कलेक्शन भी किया जा रहा है।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: राममंदिर निर्माण के साथ केंद्र और प्रदेश की सरकार अयोध्या के पौराणिक और तीर्थ स्वरूप को उजागर करने का काम शुरू कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की सोच के अनुरूप अन्य धार्मिक स्थलों की तरह पर्यटक रामनगरी में कदम रखें तो उसे रामायणकालीन दृश्य दिखें इसलिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। शुरुआत पौराणिक जलाशयों को फिर से जीवित करने से की गई है। प्रथम चरण में 108 जलाशय और कई तालाबो को चिह्निंत किया गया है। जो जीर्णशीर्ण हालत में है या उन पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर बिल्डिंग बना कर बेच दिया है। इन सभी का सर्वे करके सूची बना ली गई है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कई सोर्सेज से बजट का कलेक्शन किया जा रहा है। काम को 6 माह पूरा कर लेने का दावा भी किया जा रहा है।
108 कुंडों की बनाई गई सूची अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने की तैयारी
विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष/ नगर आयुक्त विशाल सिंह के मुताबिक भारत सरकार की अमृत योजना के तहत तालाबों की सूची मांगी गई थी ,जिसे भेज दिया गया है। पहले फेज में कुल 108 कुंड है जो जीर्णशीर्ण हैं या जिन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है या उनमे पानी नही है। सबसे पहले उन्हें पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए बजट नमामि गंगे योजना से प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा यह कार्रवाई अब अनवरत चलेगी और कुछ माह में अयोध्या में जो पौराणिक जलाशय थे उन सभी को पुनर्जीवित कर लेंगे। उन्होंने बताया जिन कुंडों और सागरों पर अवैध निर्माण है उन्हें गिराया जाएगा।
इकोसेंट्रिक विधि से होगा ट्रीटमेंट बेंगलुरु से बुलाए गए एक्सपर्ट
पानी को नेचुरल विधि से कैसे साफ किया जाता है। इसको देखने के लिए एक टीम कुछ दिन पहले बेंगलुरु गई थी। वहां से एक्सपर्ट बुलाकर यहां पर भी काम शुरू कर दिया गया है। बेंगलुरु से आए एक्सपर्ट आनंद मल्लीगवद के मुताबिक इकोलॉजिकल मैकेनिज्म जैसे पौधे लगाकर उसको चैनलाइज और प्यूरिफाई करके फिर रेन वाटर को क्रिएट किया जाएगा। यह पूरा कार्य अयोध्या में युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है। उन्होंने दावा किया कि प्रथम चरण का यह कार्य कुछ माह में पूरा करके कुंडों को पुनर्जीवित कर लिया जाएगा।
खंगाला जा रहा है कुंडों का 1359 फसली का रेकार्ड, सप्तसागर में हुए निर्माण की बन रही सूची
विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के मुताबिक अयोध्या प्राचीन काल के अवशेषों से भरी पड़ी है। इसलिए कुंडों के 1359 फसली के जो रेकार्ड है उन्हें निकाल कर डीएम से अनुरोध करके उसकी पैमाइस कराई जा रही है। नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे जो भी तालाब है जिनका एरिया रेकार्ड के अंतर्गत आता है। जिन पर कालांतर में कब्जे हो गए हैं। उन्हें पूरी तरीके से चिन्हित कर लिया गया है। जल्दी उनके ऊपर हुए कब्जे को हटाया जाएगा और उन्हें पुराना स्वरूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया सप्तसागर में हुए अवैध निर्माण की सूची तैयार की जा रही है। ब्रह्मा कुंड ,विद्या कुंड ,अग्नि कुंड, सीता कुंड, लाल डिग्गी, सूर्य कुंड, मन मुनि कुंड और खजुआ कुंड पर काम शुरू हो गया है।
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