सार
शादी करने के बाद कहा कि उसने जिनसे विवाह किया वह ईसाई हैं, हमने फेरे नहीं लिए, बाकी सभी रस्में पूरी कीं। मानवता में धर्म और जाति के दायरे नहीं होने चाहिए। हमारा संविधान सभी को समानता की सीख देता है।
बरेली (Uttar Pradesh)। झुमका नगरी में एक शख्स की शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल हिंदू युवक ने ईसाई लड़की से संविधान की प्रति लेकर की शादी की है। बड़ी बात तो ये कि संविधान को ही दोनों ने साक्षी मानते हुए ये शादी की और सभी रस्में पूरी कीं।
सेल्फी लेने वालों की रही भीड़
ऊंचा मोहल्ला निवासी विकास वाल्मीकि की शादी सात फरवरी को बरेली के मुंशीनगर मोहल्ले में रहने वाली अंनामिका से हुई। वह बारात लेकर पहुंचा तो उनके हाथ में संविधान की प्रति थी। इसके बाद जितनी भी रस्में हुईं, संविधान की प्रति को उसने अपने साथ ही रखा। एक दिन पहले वह दुल्हन विदा करा घर वापस लौटा। इस दौरान उसके शादी सेल्फी लोग लेते देखे गए।
कहा इसलिए की ऐसे शादी
जब विकास दुल्हन लेकर घर पहुंचा और उसके हाथों में संविधान की प्रति देखी गई। हालांकि जब वह घर के बाहर लोगों से मिलने आया तो पूछने पर कहा कि सभी के उत्थान का रास्ता हमारा संविधान ही दिखाता है। इसीलिए मैंने संविधान को साक्षी मानते हुए शादी की।
दुल्हन लेकर पहुंचा घर तो कही ये बातें
विकास वाल्मीकि ने कहा उसने जिनसे शादी की वह ईसाई हैं, हमने फेरे नहीं लिए, बाकी सभी रस्में पूरी कीं। मानवता में धर्म और जाति के दायरे नहीं होने चाहिए। हमारा संविधान सभी को समानता की सीख देता है।
संदेश देने की कोशिश
विकास ने कहा कि अभी भी तमाम सामाजिक कुरीतियां हैं, जोकि दूर होनी चाहिए। बाबा साहब ने अखंड भारत की परिकल्पना की, जिसमें सभी की बराबर भागीदारी की बात थी। संविधान की प्रति साथ ले जाकर मैंने समानता का संदेश देने की कोशिश भी की है।