सार

सपा रालोद गठबंधन की घोषणा के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के संभावित प्रत्याशियों ने अपनी सियासी गोटियां बिछानी शुरू कर दी है। पिछले चुनाव में बागपत सहित समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये इस बार सपा रालेद गठबंधन से मिल रही चुनौती को देखते हुये उम्मीदवारों के चयन में भी सभी दल बेहद चौकन्ना हैं। 

बागपत: उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनाव (UP VidhanSabha Election 2022) के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के गठबंधन के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदले राजनीतिक समीकरणों से बागपत जिले की चुनावी तस्वीर भी प्रभावित हुयी है। 
        
सपा रालोद गठबंधन की घोषणा के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के संभावित प्रत्याशियों ने अपनी सियासी गोटियां बिछानी शुरू कर दी है। पिछले चुनाव में बागपत सहित समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये इस बार सपा रालेद गठबंधन से मिल रही चुनौती को देखते हुये उम्मीदवारों के चयन में भी सभी दल बेहद चौकन्ना हैं। 
        
सपा-भाजपा में सीधी टक्कर

जानकारों के मुताबिक यह तो तय है कि चुनाव में सीधी टक्कर सपा रालोद गठबंधन और भाजपा के बीच है, मगर बसपा और कांग्रेस सहित अन्य छोटे दल मुकाबले को पेंचीदा बना रहे हैं।
         
राजनीतिक गतिविधियों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बागपत जिले में तीन विधानसभा सीटें है। पिछले चुनाव में इन तीनों सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा था। बागपत क्षेत्र अर्से से रालोद का गढ़ रहा है। इस जिले की  छपरौली विधानसभा सीट पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी  चरण सिंह की कर्मभूमि रही है। इसी सीट से चौधरी चरण सिंह ने विधानसभा  चुनाव जीतकर राजनीतिक सफर शुरू किया था। उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह भी यहां  से चुनकर सदन में पहुंचे थे। जाट बाहुल्य इस सीट पर भी गन्ना किसानों का  मुद्दा प्रमुख है। 
      
यह सीट अभी भी राष्ट्रीय लोकदल का परंपरागत गढ़ है।, इसके बावजूद पिछले चुनाव में मोदी लहर के चलते बागपत और बड़ौत की सीट पर पहली बार भाजपा ने जीती। छपरौली सीट रालोद के कब्जे में ही रही थी। चुनाव के बाद छपरौली के रालोद विधायक सहेंद्र सिंह रमाला भाजपा में शामिल हो गए थे। 
     
पिछले चुनाव में रालोद से भाजपा में आये कृष्णपाल मलिक 79,427 वोट (42.89 प्रतिशत) पाकर विधायक नर्विाचित हुए थे। उन्होंने रालोद के साहब सिंह को हराया था। बागपत विधानसभा के लिए भी रालोद से पाला बदलकर भाजपा में आये योगेश धामा ने भी बसपा के अहमद हमीद को पराजित कर इस सीट पर कब्जा जमाया था। केवल छपरौली सीट पर ही रालोद के रमाला ने 54 प्रतिशत मत लेकर जीत दर्ज की थी। बाद में रमाला के भाजपा में शामिल होने के कारण रालोद की झोली से अपनी तीनों परंपरागत सीटें छिन गयीं। 

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