सार

कांग्रेस हाईकमान ने अपनी यूपी टीम में अहम बदलाव करके साफ़ कर दिया है कि टीम प्रियंका में केवल काम करने वाले लोगों को ही तरजीह मिलने जा रही है। कांग्रेस हाईकमान ने धरना कुमार के नाम से प्रसिद्ध अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान दे दी है। अजय कुमार कुशीनगर जिले के तमकुही राज सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। जनहित से जुड़े मामलों में विशेष रूचि लेने के कारण मोदी की लहर में उन्होंने चुनाव जीत लिया। उनकी इसी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें यूपी कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी है। hindi.asianetnews.com ने कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से ख़ास बात की। इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष के दिनों से लेकर इस सफलता तक के सफर की कहानी हमसे शेयर की। 

लखनऊ(UTTAR PRADESH). कांग्रेस हाईकमान ने अपनी यूपी टीम में अहम बदलाव करके साफ़ कर दिया है कि टीम प्रियंका में केवल काम करने वाले लोगों को ही तरजीह मिलने जा रही है। कांग्रेस हाईकमान ने धरना कुमार के नाम से प्रसिद्ध अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान दे दी है। अजय कुमार कुशीनगर जिले के तमकुही राज सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। जनहित से जुड़े मामलों में विशेष रूचि लेने के कारण मोदी की लहर में उन्होंने चुनाव जीत लिया। उनकी इसी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें यूपी कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी है। hindi.asianetnews.com ने कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से ख़ास बात की। इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष के दिनों से लेकर इस सफलता तक के सफर की कहानी हमसे शेयर की। 

जाने कौन हैं अजय कुमार लल्लू 
अजय कुमार लल्लू वर्तमान में कुशीनगर जिले की तमकुही राज सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। वह साल 2012 में पहली बार विधायक चुने गए थे तब उन्होंने भाजपा के नंद किशोर मिश्रा को 5860 वोटों से हराया था। लेकिन दिनों दिन उनकी जनता के बीच सुलभता व उपलब्धता के कारण ही लोकप्रियता बढ़ती रही।  साल 2017 में जब सभी राजनैतिक पार्टियां भाजपा के लहर में उड़ सी गयी थी उस समय भी उन्होंने न सिर्फ अपनी सीट बचाये रखी बल्कि 2012 से ज्यादा बड़े अंतर से उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी को हराया। जिसके बाद उन्हें यूपी कांग्रेस के विधायक दल का नेता बनाया गया।   

पहला चुनाव निर्दल लड़कर हारने के बाद हो गया था हताश 
अजय कुमार लल्लू ने बताया " साल 2007 में मैंने पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा। मै गरीब परिवार का था पैसे थे नहीं। कुछ दोस्तों के सहयोग व स्वयं के जज्बे से  मैंने चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार मुझे बेहद काम वोट मिले। अपने वोटों के संख्या देखकर मई हताश हो गया। उसके बाद मुझे लगा कि चुनाव मेरे बस का नहीं। दूसरी तरफ पैसे के अभाव के चलते मै और हताश हो गया था। मै अपने एक साथी के साथ नौकरी की तलाश में दिल्ली चला गया। "

मजदूरों के साथ करना पड़ा काम 
अजय कुमार लल्लू ने बताया "वहां मैंने कॉनट्रैक्टर का काम शुरू किया। मै बड़े-बड़े ठेकेदारों व बिल्डर्स को काम करने के लिए मजदूर देता था। जिसमे मुझे मेहनताने के तौर पर छोटा सा कमीशन मिलता था। कभी-कभी समय पर काम करने के प्रेशर और मजदूरों की संख्या कम देखते हुए मै खुद भी उनके साथ लग जाता था। धीरे-धीरे मै वहां भी हताश होने लगा क्योंकि मजदूर आधा काम छोड़कर बीच में भाग जाते थे। जिससे समय पर काम पूरा करने का वायदा पूरा नहीं हो पाता था।" 

क्षेत्र वासियों ने चुनाव लड़ने के लिए फिर किया प्रोत्साहित 
उन्होंने बताया "दिल्ली में रहने के दौरान क्षेत्र के लोग अपनी समस्याओं को लेकर मुझे फोन करते रहते थे। मै शुरू से ही जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर संघर्ष करने के लिए काफी उत्साहित रहता था। इन्ही सब कारणों के चलते मैंने जनता के दिल में बिना किसी पद पर रहते कब जगह बना ली मुझे खुद भी न पता चला। मै दिल्ली से फिर वापस लौट आया। मैंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। मेरे निष्ठा और मेहनत पर भरोसा जताते हुए सोनिया गांधी ने मुझे साल 2012 में टिकट दे दिया। उस चुनाव में भी पैसे का अभाव मेरे सामने था। लेकिन दोस्तों, रिश्तेदारों से कर्ज लेकर मैंने चुनाव लड़ा। मैं बीजेपी प्रत्याशी को हराने में सफल रहा और मै विधायक बन गया।"

 बीजेपी की आंधी में जीता चुनाव 
साल 2017 में जब बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बना रही थी उस समय भी जनता ने अजय कुमार पर भरोसा जताया। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अजय कुमार लल्लू पिछली बार से ज्यादा मतों से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। उन्होंने बीजेपी के जगदीश मिश्रा को 18 हजार 114 वोटों से मात दी। 
जिसके बाद उन्हें विधानसभा मे कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। 

ऐसे पड़ गया "धरना कुमार" नाम 
अजय कुमार लल्लू शरू से ही जनहित से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रहें हैं। जनता की समस्या को लेकर वह हमेशा संघर्षरत रहते हैं। मुसहर जाति की समस्या हो या फिर गन्ना किसानो की लड़ाई लल्लू हर जगह उनके साथ खड़े रहे हैं। इसको लेकर वह जल सत्याग्रह से लेकर धरने पर भी बैठे। उनके इसी संघर्ष को देखते हुए लोगों ने उन्हें धरना कुमार के नाम से भी पुकारने लगे।