सार
5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रीराम जन्मभूमि का भूमि पूजन किया था। तब से अब तक करीब 2.77 एकड़ में नींव खुदाई और फाउंडेशन का काम पूरा किया जा चुका है।
नई दिल्ली। अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम (Ram Mandir) का भव्य मंदिर आकार ले रहा है। मंदिर निर्माण का काम तभी से शुरू हो गया है, जब 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रीराम जन्मभूमि पर शिला पूजन किया था। तब से अब तक करीब 2.77 एकड़ में नींव खुदाई और फाउंडेशन का काम पूरा हो चुका है। अब प्लिंथ (चबूतरा) बनाने का काम चल रहा है, जिसे 7 लेयर में पूरा किया जाएगा। इसके बाद यहां गर्भगृह का काम शुरू होगा। निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि मंदिर बनने के बाद भगवान राम की एक अद्भुत लीला पूरे अयोध्या वासी देख सकेंगे।
अयोध्यावासी देख सकेंगे श्रीराम की लीला :
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, भगवान राम नवमी के दिन पैदा हुए थे और ये मान्यता है कि उनका जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था। तो हमारी कोशिश ये है कि सूर्य की किरणें दोपहर 12 बजे करीब 5 से 10 मिनट के लिए टेक्निकली रिफलेक्ट होकर सीधे भगवान राम के माथे पर पड़ें। ये टेक्निकल काम हमने CSIR (सेंट्रल साइंटिफिक रिसर्च इंस्टिट्यूट) को दिया हुआ है। उनके जो एस्ट्रॉनमिक फील्ड के एक्सपर्ट्स हैं वो इस काम को कर रहे हैं। CSIR के एक्सपर्ट्स ने डिजाइन बना लिया है और सारे फिजिकल पैरामीटर्स ले लिए हैं। उनकी कोशिश ये है कि इसे वो कुछ इस तरह कम्प्यूटराइज्ड करें कि दोपहर के 12 बजने में 19 साल तक समय में जो परिवर्तन होता है, वो बिना किसी एडजस्टमेंट के ऑटोमैटिकली हो।
100 स्क्रीन्स के जरिए दिखेगा अद्भुत नजारा :
नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि ये बहुत बड़ा फैसला है और इसका सबसे अहम पहलू ये है कि मान लीजिए बड़ी संख्या में लोग 12 बजे अचानक मंदिर परिसर में पहुंच गए तो क्या होगा? अब आप ये सोचिए कि अगर यहां 1 लाख लोग एकदम से पहुंच गए तो मैनेज करने में कितनी दिक्कतें आएंगी। इसके लिए भविष्य में किसी तरह का हादसा न हो, इसलिए पूरे अयोध्या में 100 स्क्रीन्स लगाई जाएंगी। उन स्क्रीन्स पर दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर पड़ने वाली सूर्य किरणों का लाइव दिखाया जाएगा। इससे हम यहां आने वाली भीड़ को कंट्रोल कर सकेंगे। साथ ही श्रद्धालु भी रामलला की अद्भुत लीला को देख सकेंगे।
कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा :
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।
जानें कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट :
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया।
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