सार
यूपी की राजधानी लखनऊ में सेंट्रल ट्रांसपोर्ट कंपनी के यहां आयकर विभाग की छापेमारी में 30 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। साथ ही 1 करोड़ रुपए कैश भी मिला है। बता दें कि विभाग द्वारा छापेमारी की कार्रवाई पिछले 48 घंटे से चल रही हैे।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने करोड़ों की टैक्स चोरी पकड़ी है। बता दें कि ट्रांसपोर्ट नगर में सेंट्रल ट्रांसपोर्ट कंपनी के यहां की गई छापेमारी में करीब 30 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के अलावा 1 करोड़ रुपए कैश मिला है। यह छापेमारी की कार्रवाई करीब पिछले 48 घंटो से जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बोगस बिलिंग के जरिए टैक्स चोरी की जाती थी। वहीं लखनऊ के अलावा सीतापुर, बरेली और आगरा में भी आयकर विभाग द्वारा रेड मारी गई है।
विभाग ने पकड़ी 30 करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी
राजधानी लखनऊ में जहां 30 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी गई है तो वहीं सीतापुर में तंबाकू कारोबारी के यहां भी छापेमारी की कार्रवाई की गई है। तंबाकू कारोबारी के यहां पड़े छापे में 10 करोड़ रुपए की चोरी पकड़ी गई है। बताया जा रहा है कि तंबाकू कारोबारी के ठिकानों पर हुई छापेमारी की कार्रवाई में अधिकारियों के हाथ 10 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के सुराग हाथ लगे हैं। इसके अलावा तंबाकू कारोबारी के यहां करीब तीन किलो सोना-चांदी के गहने और 50 लाख रुपए कैश मिले हैं।
बड़े स्तर पर की गई छापेमारी
इसके अलावा हवाला ट्रांजेक्शन की भी बात सामने आई है। कोलकाता की शेल कंपनियों में भी पैसा ट्रांसफर किया गया है। लखनऊ के बड़े स्कूलों को ट्रांसपोर्टर बसों की सप्लाई की जाती है। जिसमें बसों की रिपेयरिंग और बॉडी के नाम पर बोगस बिलिंग की जाती थी। बता दें कि इससे पहले भी बड़े स्तर पर जीएसटी का छापा पड़ा था। प्रदेश के 71 जिलों में आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई की गई थी। उस दौरान प्रदेश में करीब 400 से ज्यादा सरिया और फर्नीचर कारोबारियों के यहां छापा पड़ा था।
कंपनी द्वारा किया जा रहा था संदिग्ध लेन-देन
सरिया और फर्नीचर कारोबारियों के यहां पड़े छापे में इनकम टैक्स विभाग करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का रेवेन्यू मिला था। वहीं प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बड़ी-बड़ी कंपनियों और स्कूलों को सेंट्रल ट्रांसपोर्ट कंपनी बसों के माध्यम से परिवहन सेवा उपलब्ध कराती है। साथ ही निजी कंपनी की गाड़ियों के मरम्मत का काम भी इनके पास है। बताया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर कंपनी द्वारा संदिग्ध लेन देन किया जा रहा था। विभाग के अधिकारी इस लेन-देन पर नजर बनाए हुए थे। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।