सार


अनुराग और अनुपमा की लव स्टोरी दिल्ली में शुरू हुई। दोनों सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे और एक ही कोचिंग में पढ़ने जाते थे। जहां पहली ही नजर में अनुराग दिल दे बैठे, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि अनुपमा से कुछ कहें, क्योंकि अनुपमा की मां सुशीला सरोज सांसद थीं और पिता आईपीएस थे, जबकि अनुराग के पिता आर्मी में थे। हालांकि धीरे-धीरे एकतरफा मोहब्बत बढ़ ही रही थी।

लखनऊ (Uttar Pradesh)। प्यार में ऊंच नीच और भेदभाव नहीं होता है। यदि प्यार सच्चा हो तो जरूर मिलता है। जी हां ये किसी फिल्म के स्टोरी की लाइन नहीं, बल्कि सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे अनुराग भदौरिया और पीसीएस अफसर अनुपमा के लव स्टोरी की लाइन है, जो पढ़ाई के दौरान मिलें, लेकिन अनुराग के एकतरफा प्यार और अनुपमा की सफलता के कारण दूर हो गए थे, मगर दिल की आवाज सुनकर अनुराग ने साहस दिखाया तो अनुपमा का प्यार जाहिर हो गया। हालांकि उन्होंने इसे दबाते हुए कहा था कि पहले कुछ कर लो फिर बताना...फिर क्या था सच्चे प्यार की ताकत ने अनुराग को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया, जिसे हर कोई इस समय सपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता के तौर जानता है और दोनों ने शादी कर लीं। 

इस तरह शुरू हुई थी लव स्‍टोरी
अनुराग और अनुपमा की लव स्टोरी दिल्ली में शुरू हुई। दोनों सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे थे और एक ही कोचिंग में पढ़ने जाते थे। जहां पहली ही नजर में अनुराग दिल दे बैठे, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि अनुपमा से कुछ कहें, क्योंकि अनुपमा की मां सुशीला सरोज सांसद थीं और पिता आईपीएस थे, जबकि अनुराग के पिता आर्मी में थे। हालांकि धीरे-धीरे एकतरफा मोहब्बत बढ़ ही रही थी।

ऐसे हुए थे दूर
अनुपमा से अनुराग से हमेशा पढ़ाई की ही बात करती। इससे ज्यादा अनुराग की कभी हिम्मत नहीं होती थी। इस बीच अनुपमा का सेलेक्शन यूपीपीएससी में हो गया और वो पीसीएस अफसर बन गईं। यही नहीं वो दिल्ली छोड़ कर लखनऊ आ गईं, जबकि अनुराग और परेशान हो गए, कारण कि वो बेरोजगार थे। 

मोबाइल से किए मैसेज मिला था यह जवाब
अनुराग, अनुपमा के दीवाने हो चुके थे, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आता। एक दिन उन्होंने अनुपमा को एक मैसेज किया। अनुराग बताते हैं कि इस मैसेज में उन्होंने लिखा था, 'मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं, लेकिन मैसेज भेजने के बाद वो डर के मारे अपना मोबाइल बंद कर लिए। दो दिन बाद जब दोबारा मोबाइल खोले तो अनुपमा का फोन आया और बोली, पहले कुछ कर लो फिर बताना...मेरे लिए यह न सिर्फ एक शर्त थी, बल्कि अपने आपको साबित करने का मौका भी था। 

इस तरह बढ़ी नजदीकियां
अनुराग बताते हैं अनुपमा की बातें सुनने के बाद मैं कोलकाता चला गया और वहां से आईआईएम से मैनेजमेंट की पढ़ाई की और फिर नौकरी के लिए दिल्‍ली आ गया। इसी दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ गई, क्योंकि पढ़ाई के दौरान से ही अनुपमा मुझे चाहती थी और अनुपमा से मैं लखनऊ आकर चुपके-चुपके मिलता भी था। 

2006 में की दोनों ने शादी
अनुराग बताते हैं वो अनुपमा स्कूटी पर बैठ कर पूरा लखनऊ घूमा करते थे। बाद में 2006 में हमारी शादी हुई। वहीं, अनुपमा कहती हैं कि जब तक अनुराग की मुझसे शादी नहीं हुई थी, तब तक तो बहुत मेहनत से नौकरी की, लेकिन उसके बाद नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए। हालांकि फिर दोनों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिलहाल दोनों का जीवन शानदार गुजर रहा है। अनुपमा और अनुराग का एक प्यारा सा बच्चा भी है। वो हर शनिवार अपने परिवार के साथ बाहर आउटिंग जरूर करते हैं।