गोरखपुर जिले में सभी प्रमुख पार्टियों ने प्रत्याशी घोषित कर दिए। अब कुर्सी की लड़ाई के लिए गोरखपुर की 9 विधानसभा में प्रत्याशी जी जान से लग गए हैं। गोरखपुर की विधानसभा में कई नेता जीत की हैंट्रिक लगाना चाह रहे हैं।

अनुराग पाण्डेय

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में सभी प्रमुख पार्टियों ने प्रत्याशी घोषित कर दिए। अब कुर्सी की लड़ाई के लिए गोरखपुर की 9 विधानसभा में प्रत्याशी जी जान से लग गए हैं। गोरखपुर की विधानसभा में कई नेता जीत की हैंट्रिक लगाना चाह रहे हैं तो कई प्रत्याशी दोबारा विजयी होने के लिए दिन रात क्षेत्र में लगे हुए हैं। इन सब के बीच कई ऐसे भी प्रत्याशी हैं, जिन्होंने साल 2017 का चुनाव तो अच्छा लड़ा लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई। ऐसे नेता अपना खाता खोलने के लिए जी-जान लगा रहे हैं। नई-नई चुनौतियों का सामना करते हुए किसी भी हाल में चुनाव जीतने के लिए हर तरह का हथकंडा नेताजी अपना रहे हैं। 

पिपराइच, बांसगांव, चिल्लूपार और ग्रामीण विधानसभा के वर्तमान विधायकों को अपनी सीट बचा पाना एक बड़ी चुनौती है। बांसगांव से डॉ. विमलेश पासवान, गोरखपुर ग्रामीण से विपिन सिंह और पिपराइच के विधायक महेन्द्र पाल सिंह के लिए जीत दोहराने और अपनी साख बचाना एक बड़ी चुनौती है। इसी तरह बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे चिल्लूपार के वर्तमान विधायक को भी अपनी कुर्सी बचा पाना एक बड़ी चुनौती होगी। विनय शंकर तिवारी साल 2017 में बसपा से​ विधायक बने थे। इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 

हैंट्रिक लगाना बड़ी चुनौती
वहीं गोरखपुर की कैंपियरगंज विधानसभा बनने के बाद यहां दो चुनाव हो चुके हैं। दोनों ही चुनावों में कद्दावर नेता पूर्व सीएम स्व. ​वीर बाहदुर सिंह के बेटे फतेह बहादुर सिंह विधायक चुने गए। इस बार उनके सामने सपा की कैंडिडेट अभिनेत्री काजल निषाद की चुनौती है। दो बार चुनाव में जीत का स्वाद चखने के बाद इस बार फतेह बहादुर सिंह हैंट्रिक लगाने के लिए दिन रात क्षेत्र में पसीना बहा रहे हैं। वहीं इस बार जीत की हैट्रिक लगा पाना फतेह बहादुर सिंह के लिए एक बड़ी चुनौती है।

यहां भी कांटे की टक्कर
साल 2022 के चुनाव में गोरखपुर की पिपराइच और सहजनवा विधान सभा में भी कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। यहां चार ऐसे नेता चुनाव मैदान में हैं, जो पहले भी विधायक रह चुके हैं। बात करें पिपराइच विधान सभा की तो यहां पर अमरेन्द्र निषाद पहले विधायक रह चुके हैं। अपनी पुरानी साख वापस पाने के लिए अमरेन्द्र जोर- आजमाइश कर रहे हैं। इसी तरह सहजनवां विधान सभा में भी सपा प्रत्याशी यशपाल रावत जो पहले विधायक रह चुके हैं, उन्हें अपनी विरासत वापस पाना एक बड़ी चुनौती है। इनके अलावा अन्य सीटों पर कुछ नए चेहरे और कहीं पर पुराने चेहरे पर दांव लगाया गया है। सपा के प्रत्याशी यशपाल रावत को अपनी ही पार्टी के बागी नेता मनोज यादव चुनौती दे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है ​कि सपा के टिकट पर कभी मनोज यादव ने भी सहजनवा से ताल ठोकी थी। इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव मैदान में आ गए हैं। ऐसे में यशपाल रावत के वोट बैंक से मनोज यादव भी सेंधमारी करेंगे।

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