सार
वाराणसी में लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में 31वें दिन दो दिवसीय संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि नेता समस्या बताते हैं और संत उसका समाधान देते हैं।
अनुज तिवारी
वाराणसी: संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में 31वें दिन दो दिवसीय संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा की भारत सदा से विश्वगुरु है और विश्व का काम है अपने शिष्यों की रक्षा करना। भारत सम्पूर्ण विश्व को जीवन जीने की शिक्षा देता है। यदि कोई संस्कृति और सभ्यता को सहेज कर रखता है तो वो भारत ही है। इसीलिए भारत विश्वगुरु है। विगत 2 वर्षों से पूरा विश्व महामारी की चपेट में था। इससे निजात पाने के लिए हर तरह के वैज्ञानिक प्रयास किये गए लेकिन कोई हल नहीं निकला।
9 मार्च तक कोरोना का नामोनिशान नहीं होगा
प्रथम लहर 2020 में ही विद्वानों के बीच चर्चा हुई थी कि जब तक लक्षचण्डी महायज्ञ नहीं होगा तब तक यह महामारी नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा शास्त्रों में भी लिखा है कि महामारी भी भगवती का ही रूप है। जब भगवती विराट रूप ले लेती है तो वह महामारी बनकर सामने आती है। इसलिए बिना भगवती की आराधना के भगवती के विराट रूप को शांत करना मुश्किल था। इसी के निमित इस महायज्ञ का आयोजन हुआ है और यह कहने में मुझे जरा भी संदेह नहीं होगा कि 9 मार्च तक विश्व के इतिहास से कोरोना का नामोनिशान नहीं होगा। क्योंकि यज्ञ से निकलने वाला वायरस बीमारी खत्म करता है। हमारे कर्मकांड को कोई झुठला नहीं सकता है।
स्वामी जितेन्द्रानंद- नेता गिनाते समस्या, संत देते समाधान
अपने उद्गार व्यक्त करते हुए सन्तोष दास महाराज सतुआ बाबा ने कहा कि जिस आयोजन में पूज्य पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज का सानिध्य हो उसका संकल्प निश्चित ही पूर्ण होगा। कोरोना महामारी से पूरा विश्व ग्रसित था। महाराज ने काशी के केदार खंड में इस महायज्ञ के आयोजन का निर्णय लेकर सिर्फ भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व को सुरक्षित करने का कार्य किया है। वहीं अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेन्द्रानंद जी महाराज ने कहा कि नेता समस्या गिनाता है और संत समाधान देता है। उत्तर प्रदेश अवतारों की भूमि है और योगी इस भूमि के शासन में बैठकर जिस प्रकार संत संचालन कर रहा है यह धर्म की सत्ता बनी रहे। इस 51 दिवसीय महायज्ञ के माध्यम से धर्म सत्ता जो चल रही है चलती रहे इसी की कामना करते हैं।
संत न हो तो समाज का उद्धार नहीं
वहीं संतों ने आग्रह किया कि यदि हम अपने आश्रमों और विद्यालयों में धर्म, संस्कृति, षोडशोपचार संस्कार, मनु स्मृति गरुण पुराण का अध्ययन करने और सुनने लगे तो हर घर में राम पैदा होंगे। राम का मतलब आराम नहीं षोडश संस्कार होता है। जप और तप से ही विश्व का कल्याण होता है। उन्होंने कहा कि इस महामारी की परिस्थिति में जो यज्ञ प्रारम्भ किया गया व सराहनीय है। संत न हो तो समाज का उद्धार न हो। इस दौरान गीता प्रेस व सीताराम सेवा ट्रस्ट की ओर से स्व राधेश्याम खेमका द्वारा लिखित पुस्तक संत समागम एवं पवन स्मरण का विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन की अध्यक्षता पीठाधीश्वर स्वामी शरणानंद जी महाराज ने की। संचालन महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानंद सरस्वती ने किया। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी विशोकानन्द भारती जी महाराज, पंचायती अखाड़े के महंत महानिर्वाणी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्रपुरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी चन्द्रेश्वर गिरी जी महाराज, ब्रह्मचारी गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज, स्वामी सर्वेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, महंत राघवदास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी अशुतोषानंद गिरी जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त किए।
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