सार

जीवन साथी के न रहने के गम को दिल में छिपा लिया। साथ ही पति की चाय की दुकान पर चाय बेचना शुरू किया। इसी से बच्चों को पढ़ाया-लिखाया व पालन-पोषण किया। शांती के छोटे बेटे विशाल वर्मा ने तो कमाल कर दिया। 

अयोध्या: अगर कोई ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। परिस्थितियां कुछ भी हो कुछ कर दिखाने का हौसला होना जरूरी है। रामनगरी के रहने वाले विशाल वर्मा ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। अगर परिवार के मुखिया की अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार टूट जाता है। यह संकट और भी गहरा तो तब होता है, जब मुखिया ही परिवार का पालनकर्ता व एक मात्र आमदनी का माध्यम हो। इस दौर से गुजरने वाली ग्राम खजुरावर निवासी शांती ने अपने दुखों को ही ताकत बना लिया और अपने हौंसले के बल पर बेटे को ऊंचे मुकाम पर पहुंचा द‍िया।

मां ने चाय बेंच कर किया पालन पोषण
जीवन साथी के न रहने के गम को दिल में छिपा लिया। साथ ही पति की चाय की दुकान पर चाय बेचना शुरू किया। इसी से बच्चों को पढ़ाया-लिखाया व पालन-पोषण किया। शांती के छोटे बेटे विशाल वर्मा ने तो कमाल कर दिया। उसने भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान गांधीनगर गुजरात में विज्ञानी पद चयनित होकर रामनगरी का मान बढ़ाया।

बड़ा बेटा जूनियर इंजीनियर व बेटी यूपी पुलिस में आरक्षी 
बता दें कि सतीप्रसाद वर्मा की वर्ष 2017 में अचानक मृत्यु हो गई। उनके दो बेटे व एक बेटी है, उनकी पढ़ाई पर संकट के बादल मंडराने लगे थे, पर सती की पत्नी शांती ने मजबूत इच्छा शक्ति से तीनों बच्चों को पाला पोसा। दिन भर चाय की दुकान पर चाय बेचती । वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी हैं। मां की आय से बच्चे आगे बढ़ने लगे। बड़ा बेटा विकास वर्मा जूनियर इंजीनियर व बेटी प्रियंका वर्मा यूपी पुलिस में आरक्षी पद पर चयनित हो चुकी है।

मां ने निभाई माता-पिता दोनों की भूमिका
वैज्ञानिक बने विशाल वर्मा ने बताया कि सिर पर से पिता का साया हटने के बाद मां ने माता-पिता दोनों की भूमिका निभाई। विशाल वर्मा की सफलता पर घर पहुंच कर बधाई देने वालों का तांता लगा है। बधाई देने वालों में श्रावस्ती के सांसद रामशिरोमणि वर्मा, भाजपा विधायक वेदप्रकाश गुप्ता, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि शिवेंद्र सिंह, रामप्रीति वर्मा, कपिलदेव वर्मा शामिल रहे।

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