सार

दिसंबर, 2018 में उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। 6 जनवरी 2019 को करीब चार लाख अभ्यार्थियों ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया। एक दिन बाद सरकार की तरफ से कट ऑफ मार्क्स का मानक तय कर दिया था। जिसमें पास होने के लिए आरक्षित वर्ग के लिए 40 और सामान्य वर्ग के 45 प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था, जिसे इस बार बढ़ाकर सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी कर दिया गया।

लखनऊ (Uttar Pradesh) । सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों की अपील को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च आदालत ने यूपी सरकार के फैसले पर मुहर लगाते हुए बढ़े हुए कटऑफ को अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यूपी सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लिया कि नए कटऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा। बता दें कि इस फैसले से अब कुल 67867 अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इनमें से 31,661 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी है। कोर्ट का कहना है कि कट ऑफ 60 से 65 ही रहेगा. शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सभी शिक्षा मित्रों को एक मौका और मिलेगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा जल्द होगी भर्ती
प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि इससे बेसिक शिक्षा परिषद में 69 हजार सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। बाकी बचे पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में शिक्षामित्रों को एक और मौका देने का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले ने योगी सरकार के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के फैसले पर भी मुहर लगा दी। मैं सहायक शिक्षक भर्ती में शामिल सभी अभ्यर्थियों को बधाई देता हूं।

प्रियंका गांधी ने कहा था इस भर्ती को व्यापक घोटाला 
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा को उत्तर प्रदेश का व्यापम घोटाला तक बता दिया था। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले दो साल से अधर में लटका हुआ था, जिसके चलते हजारों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी के सपनों पर ग्रहण लगा रहा। अभ्यर्थी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। हर रोज एक मोड़ सामने आ रहा है। 

यह है पूरा मामला
दिसंबर, 2018 में उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। 6 जनवरी 2019 को करीब चार लाख अभ्यार्थियों ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया। एक दिन बाद सरकार की तरफ से कट ऑफ मार्क्स का मानक तय कर दिया था। जिसमें पास होने के लिए आरक्षित वर्ग के लिए 40 और सामान्य वर्ग के 45 प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था, जिसे इस बार बढ़ाकर सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी कर दिया गया।

सिंगल बेंच पर हार गई थी सरकार
शिक्षक भर्ती परीक्षा के 60-65 प्रतिशत कट ऑफ पर कुछ अभ्यर्थियों को असंतोष हुआ। शिक्षक भर्ती मामले में दो गुट सामने आए, जिनमें एक शिक्षामित्रों और दूसरा बीएड-बीटीसी वालों का ग्रुप था। शिक्षामित्र 60-65 प्रतिशत कट ऑफ का विरोध करते हुए हाईकोर्ट चले गए। शिक्षामित्रों के मामले पर 11 जनवरी, 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाया। योगी सरकार हाईकोर्ट में हार गई। हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की कट ऑफ को सामान्य वर्ग के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी तय कर दिया।

कोर्ट ने दूसरी बार सरकार को दिया था ये आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के 40-45 कट ऑफ के ऑर्डर के खिलाफ 22 मई, 2019 को योगी सरकार ने डिविजन बेंच में अपील की। बीएड और बीटीसी वाले कैंडिडेट्स ने  सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी। हाईकोर्ट में 3 मार्च, 2020 को सुनवाई पूरी हुई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। 6 मई, 2020 को जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने योगी सरकार को राहत देते हुए सरकार द्वारा तय किए गए कट ऑफ (90-97) नंबर पर ही भर्ती कराने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया था।

फिर ऐसे रोकनी पड़ी थी भर्ती प्रक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए बेसिक शिक्षा के 69,000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सफल अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी थीं। साथ ही भरोसा भी दिलाया था कि एक हफ्ते के अंदर भर्ती पूरी कर ली जाएगी। योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए काउंसलिंग शुरू कराई। कुछ अभ्यर्थी चार प्रश्नों को गलत बताते हुए फिर कोर्ट चले गए। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की। हाईकोर्ट के फैसले से जहां बीएड-बीटीसी कैंडिडेट खुश थे तो वहीं शिक्षामित्रों ने असंतोष जाहिर किया है। हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट शिक्षामित्रों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की 3 जून से 6 जून तक होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को शिक्षक भर्ती केस में सुनवाई करते हुए 69000 हजार पदों में से 37339 पदों को होल्ड करने का आदेश दिया है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है कि शिक्षामित्रों के कितने अभ्यर्थियों ने अरक्षित वर्ग की 40 और सामान्य वर्ग के 45 फीसदी के कटऑफ पर परीक्षा पास की। इसके बाद 69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में 12 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा विभाग ने 31661 अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की थी। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी सूची के आधार पर कहा गया था कि आगे की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी होगी।

शिक्षा मित्रों का ये था दावा
शिक्षामित्रों का दावा किया था कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में लगभग 45 हजार शिक्षामित्रों ने फार्म भरा था। उत्तरमाला के मुताबिक 45/40 अंकों पर 37 हजार से ज्यादा शिक्षामित्र पास हो रहे हैं, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी के मुताबिक 45/40 कट ऑफ पर केवल 8018 शिक्षामित्र पास हुए हैं।