सार

इस नारे का सबसे पहला प्रयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिला है। जहां सपा नेताओं ने दीवारों 'खेला होई' लिखना शुरू कर दिया है। वाराणसी के समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी ने घरों में भोजपुरी में लिखाया है '2022 में खेला होई' 

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन सभी पार्टियों ने अभी से इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। अब यूपी चुनाव जीतने के लिए समाजवादी पार्टी नेताओं ने पश्चिम बंगाल की तर्ज पर  'खेला होबे' की तर्ज पर 'खेला होई' का नारा दे दिया है। खेला होबे का भोजपुरी वर्जन इन दिनों यूपी में हर किसी की जुबान पर है।  प्रदेश के चाक-चौराहों और दीवारों पर इसके पोस्टर लगना शुरू हो गया है।

सपा नेताओं ने गरमाया नारा, पोस्टर और दीवारों पर लगाया
दरअसल, इस नारे का सबसे पहला प्रयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिला है। जहां सपा नेताओं ने दीवारों 'खेला होई' लिखना शुरू कर दिया है। वाराणसी के समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी ने घरों में भोजपुरी में लिखाया है '2022 में खेला होई' जिसके बाद यह नारा सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।

पश्चिम बंगाल में चमत्कारी साबित हुआ  यह नारा
बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी का स्लोगन खेला होबे था, जो अब  उत्तर प्रदेश में खेला होई में बदल गया है। जिससकी चर्चा काशी से लेकर कानपुर तक होने लगी है। सपा के पूर्व विधायक ने घर-घर दीवारों पर इस नारे को लिखवाने के बाद कहा कि यह नारा पश्चिम बंगाल में चमत्कारी साबित हुआ और पूरे भारत में मशहूर हो गया। अब यूपी में भी इसी नारे के भोजपुरी वर्जन को जनता का भरपूर प्यार मिल रहा है। 

बंगाल से पहले यहां हुआ था सबसे पहले इस नारे का इस्तेमाल
बता दें कि 'खेला होबे' नारे का सबसे पहले प्रयोग साल 2016 में  बांग्लादेश के ढाका में इस्तेमाल हुआ था। जिसे वहां के सांसद शमीम ओस्मान ने  देश में स्वतंत्रता मुक्ति विरोधी ताकतों के खिलाफ लिखा था। जिसके बाद बंगाल के टीएमसी नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने इस पर एक गीत लिखा और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। जिसे राज्य के लोगों ने काफी पसंद किया। इसके बाद बंगाल के विधानसभा चुनाव में सीएम ममता बनर्जी अपनी रैलियों खेला होबे का नारा लगाने लगीं।  देखते ही देखते यह नारा चुनाव में इतना हिट हो गया कि हर रैली ममता बोलने लगीं और खेला होबे की दम पर फिर से सत्ता में काबिज हो गईं।