सार
चौरी इलाके के कंधिया फाटक के पास सोमवार को बारिश के दौरान आसमान से मछलियां गिरने लगी। इसे देखकर लोग अचंभित रह गए। इस दौरान एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों छोटी-छोटी मछलियां गिरी। लोग किसी अनहोनी की आशंका से भी डर गए।
भदोही: बारिश में ओले पड़ना आम बात है लेकिन जो खबर हम आपको बताने जा रहे हैं वो पढ़कर यकीनन आप भौचक्के रह जाएंगे। ऐसा न कभी किसी ने देखा होगा और ना ही कभी सुना होगा। खबर उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) की कालीन नगरी भदोही (Bhadohi) जिले की है। जहां सोमवार को तेज हवाओं के साथ हुई बारिश में आसमान से मछलियां गिरने लगीं। जिसे देख हर कोई हैरान रह गया। इस दौरान एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों छोटी-छोटी मछलियां गिरी। ग्रामीणों ने इन्हें इकट्ठा भी किया और उन्हें तालाब और आसपास के गड्ढों में फेंक दिया। इस घटना के बाद लोग किसी अनहोनी की आशंका से डरे हुए दिखाई दिए।
घबरा गए ग्रामीण
जानकारी के मुताबिक भदोही के कंधिया फाटक स्थित यादव बस्ती के पास सोमवार को बारिश संग मछलियां गिरने से लोग हैरान हो गए। मछली गिरने की खबर जंगल में लगी आग की तरह फैली। ऐसे में कोई अपनी छत पर पहुंचा तो किसी ने खेतों की तरफ दौड़ लगा दी। गांव वालों का कहना है कि खेत, छत, बाग समेत सभी स्थानों पर मछलियां गिरी थी। पूरे इलाके में करीब 50 किलो मछली उठाई गई। लेकिन उनके जहरीले होने की आशंका और किसी अनहोनी के डर की वजह से उन्हें इलाके के तालाबों और गड्ढों में फेंक दिया गया।
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विज्ञान या चमत्कार?
वैज्ञानिक और मौसम के जानकार इस घटना को साधारण नहीं मान रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि क्षेत्र में चक्रवाती हवा के साथ निम्न दबाव बनने के कारण कभी-कभी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं। तालाब के पास बनी चक्रवाती हवा मछलियों को भी उड़ा ले जाती है और आसपास के क्षेत्रों में बारिश के दौरान ऐसा देखने को मिलता है।
जलस्तम्भ या बवंडर के कारण
कुछ वैज्ञानिकों की माने तो ये सब जलस्तम्भ या बवंडर के कारण होता है। जब बवंडर समंदर के धरातल को पार करते हैं, तो ऐसी अवस्था में पानी के तूफान का रूप ले लेते हैं। तब यह तूफान मछलियों के साथ अन्य जीवों यहां तक कि सांप, केकड़ों, कछुओं और घड़ियालों को भी अपने अंदर समा लेता है। मछलियां और अन्य जीव बवंडर के साथ उड़ने लगती हैं और तब तक उड़ती रहतीं हैं, जब तक कि हवा की रफ्तार कम न हो जाए। जब हवा की रफ्तार कम होती है, तो ये जमीन पर गिरने लगती हैं। देखने वाले लोगों को ऐसा लगता है कि मछलियों की बारिश हो रही है। यह दोनों प्रक्रिया यानी तूफान और बारिश एक ही स्थान पर हो, ये जरूरी नहीं है। दरअसल, बवंडर को उठने और थमने में समय लगता है और तब तय यह कई किलोमीटर की दूरी तय कर चुका होता है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि जहां से बवंडर उठता है वहां पर बारिश के होने की संभावना कम ही होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार और बिल इवांस की मौसमशास्त्र पुस्तक ‘It’s Raining Fish and Spiders’ के अनुसार हर साल लगभग 40 बार विश्व के अनेक जगहों पर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है। इस प्रक्रिया में जो हल्के जीवों को खिंच कर ऊपर ले जाते है, कभी-कभी इन पर बर्फ की परत भी चढ़ जाती है, जो कि बारिश बनकर गिरने से बहुत ही आश्चर्यजनक सी लगती है और खतरनाक भी हो सकती है।
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