सार

सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने गोरखपुर शहर के बेहद सुरक्षित सीट से उतारा उसी रणनीति के तहत सपा ने भी अखिलेश यादव को मैनपुरी की करहल सीट से उतारा। दोनों पार्टियों की सोच थी कि इससे वह अपनी सीट को छोड़कर दूसरी सीटों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। लेकिन करहल में बीजेपी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कभी मुलायम के सुरक्षा अधिकारी रहे बघेल ने नेताजी से सीखें सभी दांव करहल में आजमा दिए हैं।

मैनपुरी: करहल सीट (Karhal seat) पर इस समय सबसे अधिक नजरें हैं। समाजावादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव (akhilesh yadav) के इस सीट पर उतरने के बाद यह हॉट सीट बन गया था, लेकिन बीजेपी ने जिस तरह एक केंद्रीय मंत्री को उनके खिलाफ उतारा उससे इस सीट की 'गर्मी' और भी बढ़ गई। भारतीय जनता पार्टी (BJP) यहां जीत के दावे के साथ पूरा जोर लगा रही है। गुरुवार को जहां गृहमंत्री अमित शाह ने बघेल के लिए प्रचार किया तो आज यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी सभा करेंगे।

जिस तरह सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने गोरखपुर शहर के बेहद सुरक्षित सीट से उतारा उसी रणनीति के तहत सपा ने भी अखिलेश यादव को मैनपुरी की करहल सीट से उतारा। दोनों पार्टियों की सोच थी कि इससे वह अपनी सीट को छोड़कर दूसरी सीटों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। लेकिन करहल में बीजेपी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कभी मुलायम के सुरक्षा अधिकारी रहे बघेल ने नेताजी से सीखें सभी दांव करहल में आजमा दिए हैं।

यही वजह है कि अखिलेश यादव को यहां खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को भी उतारना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने किसी चुनावी रैली में शिरकत की है। गृहमंत्री अमित शाह ने इसको लेकर तंज भी कसा और इशारा किया कि मुकाबला मुश्किल देखते हुए अखिलेश को इस उम्र में पिता को उतारना पड़ा। मुलायम परिवार के कई और सदस्य करहल में लगातार मेहनत कर रहे हैं। हालांकि, सपा का मानना है कि यहां अखिलेश यादव की जीत सुनिश्चत है, मार्जिन बड़ा रखने के लिए मेहनत की जा ही है।

क्या है जातिगत समीकरण
करहल में कुल 3 लाख 71 हजार वोटर हैं। जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सर्वाधिक 1 लाख 44 हजार यादव वोटर हैं तो 14 हजार मुस्लिम हैं। यादव-मुस्लिम सपा के कोर वोटर माने जाते हैं। वहीं, एम-वाई के अलावा करहल में 35 हजार शाक्य वोटर हैं, 34 हजार जाटव, 25 हजार क्षत्रिय, 14 हजार ब्राह्मण , 14 हजार पाल, 10 हजार लोधी, 17 हजार कठेरिया, 14 हजार मुस्लिम, 3 हजार वैश्य वोटर हैं। गैर मुस्लिम और यादव वोटर्स की कुल संख्या भी डेढ़ लाख से अधिक है, जिस पर बीजेपी फोकस कर रही है। ऐसे में यदि एम-वाई को छोड़कर अन्य जातियों के वोटर्स को गोलबंद करने में कामयाब हो जाती है तो मुकाबला बेहद करीबी हो जाएगा।