सार
बारिश का मौसम आने से पहले यह तकनीक अस्सी नदी में स्थापित कर दी जाएगी बायोरेमेडीएशन तकनीकी के तहत नाले पर बांस की जाली बनाकर तैर कर आने वाले ठोस पदार्थों को रोका जाता है इसके बावजूद बालू की बोरी लगा दी जाती है पानी को रोका जाता है उसके पास ही बड़ा ड्रम लगाकर उसके नीचे लगी टोटी से पानी में बायोकल्चर गिराते हैं।
वाराणसी: गंगा टास्क फोर्स (Ganga Task Force) ने अस्सी नदी को उसके पहले वाले स्वरूप में लाने के लिए जल संरक्षण नीति अपनाई है इस नदी के पानी को बायोरेमेडीएशन तकनीकी से साफ कर गंगा नदी में छोड़ा जाएगा इस तकनीकी पर गंगा टास्क फ़ोर्स ने सफल ट्रायल कर लिया है।
बारिश का मौसम आने से पहले यह तकनीक अस्सी नदी में स्थापित कर दी जाएगी बायोरेमेडीएशन तकनीकी के तहत नाले पर बांस की जाली बनाकर तैर कर आने वाले ठोस पदार्थों को रोका जाता है इसके बावजूद बालू की बोरी लगा दी जाती है पानी को रोका जाता है उसके पास ही बड़ा ड्रम लगाकर उसके नीचे लगी टोटी से पानी में बायोकल्चर गिराते हैं।
इस कल्चर से निकलने वाले सूक्ष्म जीव है उनके एंजाइम्स इस पानी की गंदगी को हटा देते हैं इससे नदी का पानी गंगा नदी में गिरने से पहले साफ हो जाता है इसके अलावा पानी में प्लॉट डालकर फ्लोट के ऊपर केली और खस के पौधे लगाकर फाइटोरीमेडिएशन करके पानी में आने वाले हेवी मेटल्स को प्लांट अपनी जड़ों के द्वारा अपनी अंदर समा लेता है और इससे पानी कुछ हद तक साफ होता है इस तकनीक को भारतीय सेना ने अपनाया है और भारतीय सेना ने ठाना है कि अस्सी नदी को उसमें पहले वाले स्वरूप में लाकर रहेंगे इस दौरान इस दौरान मेजर एन एल जोशी ने बायोरेमेडीएशन प्रोसेस के बारे में गंगा मित्रों गंगा परियों और अन्य गणमान्य नागरिकों को बताया और इसके फायदे बताएं और आने वाले समय में इस प्रोसेस को काफी हद तक कारगर साबित होना बताया ।
इस मौके पर कंपनी के लेफ्टिनेंट महेंद्र यादव उनकी टीम जिन्होंने इस बायोरेमेडीएशन तकनीकी को इस गंगा नदी में स्थापित किया और आने वाले समय में अस्सी नदी पर जगह-जगह में बायोरेमेडीएशन तकनीकी को अपनाकर पानी को साफ करके और गंगा नदी में जाने दिया जाएगा
गंगामित्र एवं 137 बटालियन गंगा टास्कफोर्स के संयुक्त तत्वाधान में रविदास पार्क के पास नगवा नाले की सफाई अभियान एवं वृहद पौधारोपण का अभियान चलाया गया। सफाई अभियान में 100 गंगामित्रों के साथ 50 आर्मी जवान एवं बहुत से संस्कृत विद्यालय के बटुक भी शामिल हुये थे। इस विशेष अभियान में नगवा नाले में बायोरेमीडेशन की प्रक्रिया हेतु दो जगहों पर डैम बनाकर पानी को रोकने की व्यवस्था की गयी उसके साथ नालों के किनारों पर कैना, जलकुम्भी आदि पौधों का रोपण किया गया।