सार

यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार उस मठ पधारे जिसके वह पीठाधीश्वर भी हैं। गोरक्षपीठ परिसर में प्रवेश करते ही हर तरफ भावनाएं उफान पर थीं। मंदित मुस्कान के बीच सीएम योगी के नेत्र उनकी भावुकता को छिपा नहीं पा रहे थे तो जनसमूह की भावनाएं योगी-योगी, जय श्रीराम और हर हर महादेव की गगनचुंबी नारों में प्रकट हो रही थीं। 

गोरखपुर: भीनी-भीनी खुशबू के बीच फूलों से नहाए गोरखनाथ मंदिर का कोना-कोना पुलकित था। मंदिर प्रबंधन से लेकर बड़ी संख्या में जुटे समर्थक और श्रद्धालुजन मुदित थे। चारों ओर उल्लास और उत्साह का ज्वार। ऐसा ही उत्सवी वातावरण बतौर मुख्यमंत्री अपनी पार्टी को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाकर सत्ता वापसी को लेकर उत्तर प्रदेश में 37 वर्ष के मिथक को तोड़ इतिहास रचने वाले योगी आदित्यनाथ के स्वागत को दौरान दिखा।

यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार उस मठ पधारे जिसके वह पीठाधीश्वर भी हैं। गोरक्षपीठ परिसर में प्रवेश करते ही हर तरफ भावनाएं उफान पर थीं। मंदित मुस्कान के बीच सीएम योगी के नेत्र उनकी भावुकता को छिपा नहीं पा रहे थे तो जनसमूह की भावनाएं योगी-योगी, जय श्रीराम और हर हर महादेव की गगनचुंबी नारों में प्रकट हो रही थीं। 

सीएम योगी आदित्यनाथ के स्वागत के लिए गोरक्षपीठ के चप्पे-चप्पे को सुगंधित फूलों से सजाया गया था। अपने 'महाराज जी' के स्वागत को लोग पलक पांवड़े बिछाए हुए थे। विशेष अवसरों पर ही खोले जाने वाला मंदिर का पूर्वमुखी मुख्य प्रवेश द्वार भी आज न सिर्फ खोल दिया गया था बल्कि यहां सजाई रंगोली मन मोह ले रही थी।

दोपहर बार करीब तीन बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला गोरखनाथ मंदिर परिसर में जैसे ही प्रवेश किया, उनके समर्थन में नारे गूंजने लगे। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद वाहन से उतरकर सीएम योगी सीधे गुरु गोरखनाथ जी की प्रतिमा समक्ष पहुंचे, विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद लिया और प्रदेशवासियों के मंगल की कामना की।

इसके बाद सीएम योगी ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ तथा गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि स्थल पर जाकर मत्था टेका और पूजन-अर्चन कर महंतद्वय का आशीर्वाद लिया। धर्म और राजनीति दोनों माध्यमों से लोक कल्याण का पाठ पढ़ाने वाले अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा समक्ष सीएम योगी की सजल आंखे आज के दिन विशेष को लेकर उनके भावों की अनकही इबारत लिख रही थीं।