सार

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से नेपाल की जो सीमा सटी है, वहां भारत के निर्माण कार्यों में रुकावट डालने वाला नेपाल अब घुटनों पर है। गर्मियों में होने वाले माइग्रेशन को लेकर नेपाल ने भारत से रास्ता देने की गुहार लगाई है।

पिथौरागरढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से नेपाल की सटी सीमा पर नेपाल ने भारत के निर्माण कार्यों में रुकावट डाली थी। लेकिन अब गर्मियों में होने वाले माइग्रेशन को लेकर नेपाल ने भारत ने रास्ता देने की गुहार लगाई है। नेपाल को एक बार फिर अपने नागरिकों के लिए भारत से मदद मांगनी पड़ी है। बॉर्डर तहसील धारचूला के सटे नेपाल के दो गांव तिंकर और छांगरू के लिए रास्ता भारत से होकर ही है। 

रास्ते का विकल्प तैयार करने का किया था दावा
गर्मियों में होने वाले माइग्रेशन के लिए नेपाल ने अपने नागरिकों को भारत का रास्ता देने की गुहार लगाई है। नेपाल के द्वारा लगाई जा रही यह गुहार अहम इसलिए भी है क्योंकि कुछ समय पहले लिपुलेख और कालापानी की सीमा को लेकर उठे विवाद के बीच नेपाल ने भारत को अकड़ दिखाते हुए इसी रास्ते का विकल्प तैयार करने का दावा किया था। जो अभी तक पूरा नहीं कर पाया और भारत के सामने एक बार फिर उसे गुहार लगानी ही पड़ी गई। 

नेपालियों को मूल स्थान से होना पड़ता है माइग्रेट
बता दें कि नेपाल के छांगरू और तिंकर उच्च हिमालयी इलाकों में मौजूद गांव हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग जाड़ों के सीजन में निचले इलाकों को आते हैं तो वहीं गर्मियां शूरू होने के साथ ही ग्रामीण अपने मूल स्थान को माइग्रेट होते हैं। लेकिन नेपाल की पास अभी भी यह दिक्कत है कि अपने देश के भीतर से इन गांवों तक पहुंचने के लिए उसके पास रास्ता नहीं है। ऐसे में नेपालियों को भारत के रास्ते अपने गांव पहुंचना होता है। नेपाल का तिंकर गांव करीब 16,633 फीट की ऊंचाई पर बसा है, जबकि छांगरू 9,520 फीट की ऊंचाई पर है।

नेपाल के भारत से किए गए बड़े-2 दावे हुए फेल
नेपाल और भारत के रिश्ते में केपी ओली की सरकरा में कड़वाहट आई थी। कालापानी और लिपुलेख की सीमा को लेकर उठे विवाद के बीच नेपाल ने उस वक्त अपने दोनों गांवों के लिए पैदल रास्ता बनाने का दावा किया था। यही नहीं पैदल रास्ता बनाने के लिए नेपाली सेना को भी तैनात किया था। लेकिन उस वक्त का किया हुआ दावा अभी तक पूरा नहीं कर सका। लाख कोशिशों के  बाद भी काफी लंबा समय गुजर चुका है पर अभी भी नेपाल छांगरू और तिंकर ने लोगों के लिए अपने देश के अंदर पैदल रास्ता नहीं बना पाया है। 

नेपाल की मांग को नियमों के अनुरूप उठाया जाएगा कदम
इसकी वजह से नेपाली प्रशासन ने भारतीय प्रशासन से अपने नागरिकों के लिए रास्ता देने की गुहार लगाई है। जिलाधिकारी पिथौरागढ़ आशीष चौहान ने बताया कि नेपाली प्रशासन ने एसडीएम धारचूला को मांग पत्र भेजा है। जिसमें छांगरू और तिंकर के लोगों को रास्ता देने की मांग की है। नेपाल द्वारा की गई इस मांग को नियमों के अनुरूप अगला कदम उठाया जाएगा। 

उत्तराखंड में बनेगा देश का पहला जीआई बोर्ड, उत्पादों की मांग बढ़ाने से लेकर पलायन रोकने तक में मिलेगी सफलता

उत्तराखंड: सुरकंडा देवी मंदिर में रोपवे सेवा की हुई शुरुआत, जानिए पहले दिन कितने लोगों ने किया सफर

उत्तराखंड: बर्फ हटाकर रास्ता साफ करने में जुटी सेना, 22 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट