सार
सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग में पूजा की मांग के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है। इस मामले की सुनवाई अब दो दिसंबर को होगी।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग पूजन की स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद की मांग को लेकर सुनवाई नहीं हुई। सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजन-आरती, राग-भोग आरती करने की मांग के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं हो सकी। पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने की वजह से अदालत में सुनवाई टल गई। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख तय की गई है।
मामले में इन अधिकारियों ने दिया है प्रार्थना पत्र
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व रामसजीवन ने वकील रमेश उपाध्याय, अरुण कुमार त्रिपाठी, चंद्रशेखर सेठ के माध्यम से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमें बताया है कि शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर हुए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा-आरती, राग-भोग जिला प्रशासन की ओर से विधिवत करना चाहिए था लेकिन अभी तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर किसी अन्य सनातनी धर्म से जुड़े व्यक्ति को इसके संबंध में नियुक्त भी नहीं किया है।
108 घंटे तक जून माह में किया भूख हड़ताल
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मई के महीने में वुजूखाने के बीचों बीच शिवलिंग की आकृति मिलने के बाद वह स्थान सील कर दिया गया था। इसके बाद से ही आदिविश्वेश्वर की मान्यता होने की वजह से शिवलिंग के पूजन को लेकर कई पक्षों की ओर से मांग की जा रही थी। इस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया था। अदालत लंबे समय के बाद सुनवाई करने जा रहा था लेकिन पीठासीन अधिकारी की छुट्टी की वजह से पूरी नहीं हो सकी। इससे पहले पूर्व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आदि विश्वेश्वर का जलाभिषेक और पूजन के साथ ही उनका अभिषेक व भोग लगाने को लेकर 108 घंटे तक जून माह में भूख हड़ताल शुरू किया था। फिर जिला प्रशासन सहित तमाम संन्यासियों ने पहल कर उनका भूख हड़ताल खत्म कराया था। इसके बाद वह अदालत की ओर रुख किए थे और लंबे समय से सुनवाई नहीं हो पा रही।
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