सार
वाराणसी के 2 अलग-अलग कोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़े पांच अलग-अलग मामलों पर आज सुनवाई की गई है। पांचों मामले में ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग, कथित शिवलिंग की पूजा, और राग-भोग के अधिकार सहित अन्य मांगें शामिल हैं।
वाराणसी: ज्ञानवापी मामले से जुड़े 5 अलग-अलग मामलों पर शुक्रवार यानि की आज सुनवाई की गई। बता दें वाराणसी की 2 अलग-अलग कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई हुई। पांचों मामलों में ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग, वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा, शृंगार और राग-भोग के अधिकार सहित अन्य मांगें शामिल हैं। बता दें कि सिविल कोर्ट में दी सेंट्रल बार एसोसिएशन और दी बनारस बार एसोसिएशन की वार्षिक चुनाव प्रक्रिया के चलते पांचों मामलों की सुनवाई के लिए अदालत ने आगे की तारीख दी है।
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए दी अगली तारीख
बता दें कि सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में किरन सिंह विसेन और अन्य के द्वारा दाखिल भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के केस पर सुनवाई की गई। अदालत ने इस मामले को सुनवाई योग्य माना है। वहीं इस केस के जरिए परिसर हिंदुओं को सौंपने, ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने और वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार मांगा गया है। वहीं अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 5 जनवरी की अगली ताऱीख दी है।
कथित शिवलिंग की मागीं गई पूजा-पाठ की अनुमति
इसके अलावा हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और अजीत सिंह की तरफ से दाखिल केस की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में की गई। इस केस में कथित शिवलिंग की पूजा-पाठ और राग-भोग की अनुमति मांगी गई है। बता दें कि यह प्रार्थना पत्र पर्यावरणविद प्रभुनरायन की तरफ से दाखिल किया गया है। साथ ही इस पत्र में आस्था के साथ वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर अनुतोष देने का अनुरोध किया गया है। वहीं ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की तरफ से एडवोकेट अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी ने भी सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है।
देवता को बताया बच्चे के समान
इस पत्र के माध्यम ज्ञानवापी स्थित आराजी पर भगवान पर मालिकाना हक देने, केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग करने के साथ ही वर्ष 1993 ज्ञानवापी में लगाई गई बैरिकेटिंग हटाने की मांग की गई है। वहीं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और रामसजीवन की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सिविल जज सीनियर डिवीजन कुमुदलता श्रीवास्तव की कोर्ट में सुनवाई की गई। इस पत्र के जरिए ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा, शृंगार और राग-भोग की अनुमति मांगी गई है। बता दें कि इस प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि कानून के अनुसार, भगवान की स्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है। इसलिए उन्हें अन्न, जल ना देना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।