सार
कानपुर पुलिस ने एक अनोखी मिसाल कायम की है। पुलिस ने 150 बच्चों के साथ खून का रिश्ता बनाया है। यह रिश्ता कई सालों से बना हुआ है। पुलिस यहां थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों को रक्त मुहैया करवा रही है।
कानपुर: कहते हैं कि खून के रिश्ते जन्म से होते हैं, हालांकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। कानपुर पुलिस की ओर से जो काम किया गया है उसके बाद तो यह कहावत पूरी तरह से गलत साबित होती दिख रही है। यहां पुलिस ने तकरीबन डेढ़ सौ बच्चों के साथ खून का रिश्ता बनाया है। इन बच्चों और उनके परिवार से जो दिल का रिश्ता बना है वैसा लगाव खून के रिश्तों में भी दुर्लभ है। दरअसल यहां पुलिस सवा साल से थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों की जीवन की रक्षा का संकल्प बखूबी निभा रही है और मिसाल कायम कर रही है।
कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की ओर से जो काम यहां किया जा रहा है उसकी सराहना अन्य राज्यों की पुलिस की ओर से भी की जा रही है। गौरतलब है कि कानपुर में थैलीसीमिया से पीड़ित तकरीबन 150 बच्चों को हर माह खून की जरूरत होती है। उनकी इस जरूरत को पुलिस पूरा कर रही है। सिर्फ इस साल ही 2700 यूनिट रक्तदान कर पुलिस ने पीड़ित बच्चों के प्राणों की रक्षा की और रक्तदान को लेकर अन्य लोगों को भी जागरुक कर एक सकारात्मक माहौल बनाने का प्रयास किया।
इस तरह से हुई थी शुरुआत
कानपुर में यह शुरुआत पूर्व पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने की थी। उनके सामने जब थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों को रक्त मिलने से संबंधित समस्या सामने आई तो उन्होंने पुलिस के सहयोग से रक्तदान का फैसला लिया। इसके बाद 20 जून 2020 को शहर में पहले रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसके बाद से लगातार अलग-अलग जगहों पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
क्या होता है थैलीसीमिया
थैलीसीमिया एक अनुवांशिक रोग है। इसका असर बच्चे के जन्म के तीन माह बाद दिखने लगता है। इससे पीड़ित बच्चों में रक्त निर्माण घट जाता है और छोटे बच्चों को 21 दिन पर एक यूनिट जबकि बड़े बच्चों को 15 दिन में दो यूनिट खून चढ़ाना होता है। कानपुर में थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए हर साल 2500 से 3000 यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है।
दुष्कर्म पीड़िता अधिवक्ता ने आरोपित दारोगा पर लगाए कई गंभीर आरोप, कहा- चुप नहीं बैठूंगी
आजम खान ने सीतापुर जेल को बताया 'सुसाइड जेल' तो डीजी आनंद कुमार ने दिया करारा जवाब