सार

मलेशिया के टुम्पाट डिस्ट्रिक्ट में रहने वाला एक शख्स अकेले अपने तीन बीमार बच्चों का ख्याल रखता है। उसके तीनों बच्चे एक गंभीर बीमारी के शिकार हैं।

हटके डेस्क। मलेशिया के इस शख्स की कहानी जान कर आप इमोशनल हुए बिना नहीं रह पाएंगे। यह एक ऐसे शख्स की कहानी है, जो अकेले एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे अपने तीन बच्चों का पूरा ख्याल रखता है। टुम्पाट जिले के काम्पुमंग कॉक केली गांव के रहने वाले इस शख्स का नाम मुहम्मद जेन अब्दुल्लाह है। सेरेब्रल पाल्सी जैसी दिमाग की गंभीर बीमारी के शिकार उसके तीनों बच्चे खुद बिस्तर से भी नहीं उठ सकते। अब्दुल्लाह को उन्हें खाना खिलाने से लेकर नहलवाने, कपड़े बदलवाने और दूसरे सारे काम करने पड़ते हैं। बता दें कि दो साल पहले उसकी वाइफ की ब्रेस्ट कैंसर से डेथ हुई थी। मरते समय अब्दुल्लाह की वाइफ ने उससे बच्चों का ख्याल रखने को कहा था। 

पार्ट टाइम जॉब करता है अब्दुल्लाह
बच्चों का ख्याल रखने के लिए अब्दुल्लाह अपने गांव में ही पार्ट टाइम जॉब करता है। उसके 4 बच्चे और हैं। लेकिन उनमें से दो ही बच्चों का ख्याल रखने में उसकी मदद कर पाते हैं। बाकी दो छोटे हैं। बच्चों को नहलाने, उन्हें खाना खिलाने, समय पर मेडिसिन देने से लेकर हर बात का ख्याल अब्दुल्लाह को ही रखना पड़ता है। पार्ट टाइम काम करने की वजह से उसकी कमाई भी ज्यादा नहीं है। 

सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से मिलती है मदद
मुहम्मद अब्दुल्लाह को मलेशिया के सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से कुछ आर्थिक मदद मिल जाती है। उसे सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट हर महीने करीब RM1,050 (17,500 रुपए) की मदद मिलती है, लेकिन बीमार बच्चों का ख्याल रखने, उनका इलाज कराने और दूसरे खर्चों के लिहाज से यह रकम बहुत कम है। इस मदद के अलावा उसे मलेशियाई एयरपोर्ट (Sdn Bhd) से डाइपर्स और कैश के रूप में भी कुछ मदद मिल जाती है। इस एयरपोर्ट का संचालन अहमद फिक्री करते हैं, जो सुल्तान इस्माइल पेट्रा एयरपोर्ट के भी मैनेजर हैं।

वायरल हुई सिंगल फादर अब्दुल्लाह की कहानी
सिंगल फादर अब्दुल्लाह की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसके बाद सबों ने उसके प्रति सहानुभूति जताई। सबने यही कहा कि इतनी कठिनाइयों के बावजूद अब्दुल्लाह अपने बीमार और बिस्तर पर हमेशा पड़े रहने वाले बच्चों के लिए जो कर रहा है, वह हर किसी से संभव नहीं है। जब अब्दुल्लाह की यह स्टोरी सोशल नीडिया पर वायरल हो गई, तब अहमद फिक्री ने उसे दी जाने वाली मदद और बढ़ा दी। इसके लिए मलेशियन एयरपोर्ट्स के स्टाफ अब अपनी सैलरी से कॉन्ट्रिब्यूट करते हैं।