सार

सरकारी अस्पतालों में कई बार डॉक्टरों के गैरजिम्मेदार रवैये के कारण पेशेन्ट्स को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। समय पर मरीजों का इलाज नहीं किए जाने से कई मामलों में तो जान जाने की भी नौबत आ जाती है। 

हटके डेस्क। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के गैरजिम्मेदार रवैये के कारण कई बार पेशेन्ट्स को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। समय पर मरीजों का इलाज नहीं शुरू किए जाने से कई मामलों में तो उनकी जान जाने की भी नौबत भी आ जाती है। ऐसा ही हुआ मलेशिया के शहर जोहर बहरू में हफीजा नाम की एक महिला के साथ। हफीजा की हालत बहुत खराब थी। उसे खून की उल्टियां हो रही थीं। इसके बावजूद सुल्तान इस्माइल हॉस्पिटल में उसका सही समय पर इलाज नहीं शुरू किया गया, जबकि वह वहां एम्बुलेंस से पहुंची थी। खून की उल्टी करने के बावजूद पहले डॉक्टरों ने उससे कहा कि उसने इलाज के लिए अप्वाइंटमेंट नहीं लिया। उन्होंने इमरजेंसी में उसका इलाज शुरू करने की जगह उसे येलो जोन में भेज दिया, जहां उसे दूसरे मरीजों के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद उसे खून की जांच के लिए भेज दिया गया। इस सब में 4 घंटे लग गए और हफीजा की हालत खराब हो गई। बाद में उसकी दोस्त उमी ने ट्विटर पर जब इसके बारे में लिखा तो लोगों को डॉक्टरों के इस लापरवाही भरे रवैये के बारे में पता चला। यह घटना 6 अक्टूबर की है।

सुबह होने लगी हफीजा को खून की उल्टियां
हफीजा की तबीयत पहले से ही खराब थी, लेकिन 6 अक्टूबर को सुबह 5 बजे से ही उसे खून की उल्टियां होने लगी। इसके बाद उसने अपनी रूममेट उमी को एक एम्बुलेंस बुलाने को कहा। उसने सोचा था कि एम्बुलेंस से अस्पताल जाने पर डॉक्टर उसका इमरजेंसी में इलाज करेंगे। लेकिन जब वह अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू करने की जगह सवाल पूछने शुरू कर दिए, जबकि हफीजा को सांस लेने तक में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद डॉक्टरों ने हफीजा को ब्लड टेस्ट के लिए भेज दिया, जहां और भी देर हुई।

हफीजा की हालत बिगड़ने लगी
इलाज में देर होने की वजह से हफीजा की हालत बिगड़ने लगी। उसके सीने में तेज दर्द होने लगा और उसकी सांस रुकने लगी। उसके साथ आई उमी दौड़ कर डॉक्टर के पास गई, पर उस समय डॉक्टर झपकी ले रहा था। उमी ने डॉक्टर से कहा  कि अगर इलाज नहीं शुरू किया गया तो हफीजा की जान नहीं बच पाएगी। इसके बाद डॉक्टर ने पेशेन्ट को लाने को कहा। हफीजा लगातार खून की उल्टियां कर रही थी।  

दूसरे डॉक्टर ने भेजा रेड जोन में
इसी बीच, एक दूसरे डॉक्टर ने जब हफीजा को इस गंभीर हालत में देखा तो उसे इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए रेड जोन में भेजा। उस डॉक्टर ने तत्काल उसे आईसीयू में शिफ्ट किया। इस बीच, हफीजा के पेरेंट्स भी आ गए थे। हफीजा की हालत इतनी खराब हो गई कि वह खुद से सांस भी नहीं ले पा रही थी। उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और ब्लड भी चढ़ाना पड़ा। उसे पहले देखने वाले डॉक्टर से जब पूछा गया कि इतनी गंभीर हालत के बावजूद उसने उसका ट्रीटमेंट क्यों नहीं शुरू किया तो उसने कहा कि वह उसे नॉर्मल लगी। 

बेहाश हो गई थी हफीजा
उमी ने कहा कि आईसीयू में ले जाने के पहले ही हफीजा बेहोश हो गई थी। आईसीयू में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया और ब्लड चढ़ाया गया। उसे कुछ समय के लिए आईसीयू से बाहर लाया गया और वार्ड में शिफ्ट किया गया, लेकिन फिर उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और उसे दोबारा आईसीयू में ले जाया गया।