सार

सोशल मीडिया पर तरह-तरह के चैलेंज और प्रैंक्स का चलन बढ़ता ही जा रहा है। टिकटॉक पर आजकल एक ऐसा चैलेंज चल पड़ा है, जिसमें लोगों की जान तक जा रही है। 

हटके डेस्क। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के चैलेंज और प्रैंक्स का चलन बढ़ता ही जा रहा है। टिकटॉक पर आजकल एक ऐसा चैलेंज चल पड़ा है, जिसमें लोगों की जान तक जा रही है। पहले भी इंटरनेट पर ऐसे कई गेम आ चुके हैं, जिसमें बच्चों को खतरनाक चैलेंज दिए जाते थे, जिन्हें पूरा करने के लिए कभी वे छत से कूद जाते थे तो कभी ऐसे खतरनाक कामों को अंजाम देने की कोशिश करते थे, जो उनके लिए जानलेवा साबित होते थे।

अमेरिका से शुरू हुआ ट्रेंड
फिलहाल, टिकटॉक पर चैलेंज लेने का जो खतरे से भरा ट्रेंड चल पड़ा है, उसकी शुरुआत अमेरिका से हुई है। इसमें बच्चों को उनके दोस्त पैरों को फैला कर इस तरह से जम्प करने को कहते हैं कि वे सीधे मुंह के बल गिरते हैं। इससे उन्हें गहरी चोट लग जाती है। लेकिन चैलेंज पूरा करने के लिए बच्चे ऐसा कर रहे हैं और घायल हो रहे हैं। इस तरह के प्रैंक तेजी से दुनिया के दूसरे देशों में फैल रहे हैं और वहां के भी बच्चे इसके जाल में फंसते चले जा रहे हैं। 

कई बच्चे हो चुके हैं बेहोश
इस चैलेंज को स्वीकार कर छलांग लगाने से गिर कर कई बच्चे बेहोश हो जाते हैं। उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है। ज्यादा गंभीर चोट लगने की हालत में उन्हें अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ता है। बावजूद, जिन्हें इस तरह के प्रैंक करने का नशा हो गया है, वे मानते नहीं। ब्राजील की एक लड़की की इस प्रैंक में जान तक चली गई। इससे बच्चों के अभिभावक काफी चिंता में रहते हैं। 

गिरने के बाद भी दोस्त नहीं छोड़ते
टिकटॉक का यह प्रैंक करने और चैलेंज लेने वाले जब छलांग लगाने के बाद जमीन पर गिर कर चोटिल हो जाते हैं, तो भी दोस्त उन्हें नहीं छोड़ते और घेर कर फिर से छलांग लगाने को कहते हैं। वे उनके बैक पर थप्पड़ मारते हैं और उनका सिर जमीन से टकरा देते हैं। जब दोस्त उनके चंगुल से निकलने की कोशिश करता है, तो वे उस पर हंसते हैं।

डॉक्टरों ने बताया जानलेवा
इस तरह का प्रैंक दुनिया के कई देशों के साथ मलेशिया में भी काफी पॉपुलर हो गया है। वहां के एक डॉक्टर शाजिफ ओथमान का कहना है कि इस तरह के प्रैंक से सिरदर्द से लेकर फिजिकल इंजरी तो हो ही सकती है, इससे कई तरह की गंभीर बीमारियां भी होने का खतरा है। डॉक्टर का कहना है कि इससे स्ट्रोक और लकवा भी हो सकता है। साथ ही, स्पाइनल कॉर्ड में गंभीर चोट भी लग सकती है। कुछ दूसरे डॉक्टरों का भी कहना है कि इस तरह के प्रैंक से स्थाई विकलांगता की स्थिति पैदा हो सकती है। उनका कहना है कि बच्चों के पेरेंट्स और टीचर्स को उन पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें ऐसे प्रैंक करने या चैलेंज लेने से सख्ती से रोकना चाहिए।