सार

फिजी के इस प्रमुख शहर में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन (12th World Hindi Conference) में हिंदी और भारतीय संस्कृति की धूम दिखाई दी। सम्मेलन के आखिरी दिन भारत मात की जय के नारे गूंजे।

नाडी(Nadi). फिजी के इस प्रमुख शहर में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन (12th World Hindi Conference) में हिंदी और भारतीय संस्कृति की धूम दिखाई दी। सम्मेलन के आखिरी दिन भारत मात की जय के नारे गूंजे। सम्मेलन में पीएम मोदी की भी खूब तारीफ हुई। फिजी के डिप्टी पीएम बिमन प्रसाद ने मोदी की तारीफ की। पढ़िए डिटेल्स..

पहले ये जानें

फिजी में आयोजित हिंदी सम्मेलन में का उद्धाटन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और फिजी के पीएम एस. राबुआ ने किया था। सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। 15 फरवरी से शुरू हुए सम्मेलन का औपचारिक समापन 17 फरवरी को है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा

फ़िजी के राष्ट्रपति जी ने मुझसे कहा कि हिंदी फिल्मों का मुझ पर बहुत प्रभाव है और मैंने कई फिल्म देखी हैं। मैंने जब पूछा कि उनकी प्रिय फिल्म कौन सी है? तो उन्होंने शोले बताया। उन्होंने कहा कि उनको गाना 'ये दोस्ती' अभी भी याद आता है।

भारत की तरफ से यहां पर हो रहे सांस्कृतिक मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए हम यहां पर हो रही हिंदी, तमिल आदि शिक्षण की मांग को पूरा करने के लिए हम तैयार हैं और कुछ ही दिनों में हम इसको रूप रेखा दे पाएंगे।

हमारे पास काफी सवाल आए कि आगे का रास्ता क्या होगा? मुझे लगता है कि सब की आशा है कि यह सम्मेलन हिंदी का महाकुंभ होगा जहां दुनिया के लोग आएंगे। यह हिंदी के विषय में एक वैश्विक नेटवर्क का मंच बनेगा।

हमें यह सम्मेलन एक बार भारत और एक बार विदेश में करना चाहिए और ऐसे करना चाहिए कि जो भी दुनिया में हिंदी प्रेमी हैं और हिंदी को आगे बढ़ाना चाहते हैं उनको अवसर मिले। हमारा लक्ष्य यही है कि कैसे हम हिंदी को विश्व भाषा बनाएं और इसके अलग रूप, पहलू, तरीके हैं।

विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा-IT, कृत्रिम मेधा जैसी प्रणालियों का समुचित उपयोग करते हुए हिंदी मीडिया,सिनेमा और जनसंचार के विविध माध्यमों ने हिंदी को विश्व भाषा के रूप में विस्तारित करने की संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं।

विश्व सभ्यता को हिंदी की क्षमताओं का समुचित सहकार प्राप्त हो इसके लिए यह सम्मेलन विश्व हिंदी सचिवालय को बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में विकसित करने तथा प्रशांत क्षेत्र सहित विश्व के अन्य भागों में इसके क्षेत्रिय केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता का अनुभव कर रहा है।

फिजी के डिप्टी पीएम बिमन प्रसाद ने कहा-पिछले कुछ 10-15 सालों में हिंदी के प्रचार और प्रसार को और हिंदी को कैसे पढ़ाया जाता है उसे कम किया गया, उसको कमजोर बनाया गया। लेकिन हमारी सरकार ने कदम अपनाए हैं जिससे हिंदी को मजबूत बनाए जाए।

फ़िजी में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार पिछले 140 वर्षों से हो रहा है। आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वह अपने साथ रामायण, गीता तो नहीं लाए थे लेकिन अपने साथ वह अपनी संस्कृति साथ में लाए थे।

फिजी में सचिव(पूर्व) सौरभ कुमार ने कहा-इस सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के 900-1000 लोगों ने हिस्सा लिया था। विदेशी हिंदी विद्वान और स्कॉलर्स पर ज़ोर दिया गया है और 14 विदेशी स्कॉलर्स, संस्थाओं को सम्मानित किया गया है और भारत के 21 स्कॉलर्स, संस्थाओं को सम्मानित किया गया है।

भाषा प्रयोगशाला की घोषणा मुरलीधरन जी ने की थी। इससे शिक्षकों को ट्रेनिंग मिल सकेगी। अभी हम सॉफ्टवेयर की तरफ ध्यान दे रहे हैं। एक बार हमारी कार्रवाई पूरी हो जाएगी, तब हम यह भाषा प्रयोगशाला फ़िजी को दे दी जाएगी।

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