सार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया है। इसकी एक बड़ी वजह पाकिस्तान का परमाणु संपन्न देश होना भी है। परमाणु हथियारों के मामले में पाकिस्तान छठे नंबर पर है। सबसे बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान ने बिना किसी सामंजस्य के बेहद घातक परमाणु हथियार जुटा रखे हैं।

Most Dangerous Country in the World: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया है। इसकी एक बड़ी वजह पाकिस्तान का परमाणु संपन्न देश होना भी है। परमाणु हथियारों के मामले में पाकिस्तान छठे नंबर पर है। सबसे बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान ने बिना किसी सामंजस्य के बेहद घातक परमाणु हथियार जुटा रखे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान के खराब आर्थिक और राजनीतिक हालात भी इसे एक खतरनाक देश बनाते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी वजहें जो पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बनाती हैं। 

वजह नंबर 1- चोरी से न्यूक्लियर तकनीक हासिल करना
1974 में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जनक अब्दुल कादिर खान ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्‌टो को एक चिट्ठी लिखी और परमाणु बम बनाने की बात कही। इसके बाद भुट्‌टो ने कादिर खान को परमाणु बम बनाने के लिए अपनी कोशिशें तेज करने को कहा। उस वक्त कादिर खान नीदरलैंड्स की फिजिकल डायनामिक्स रिसर्च लेबोरेटरी में काम करते थे। कादिर खान ने 1975 में यहां से न्यूक्लियर तकनीक के जरूरी डॉक्यूमेंट्स चुरा लिए। इसके बाद पाकिस्तान ने अब्दुल कादिर की मदद से 1998 में परमाणु हथियार बना लिए। इतना ही नहीं, कादिर ने परमाणु तकनीक दुनिया के दूसरे देशों को भी बेची, जिनमें ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं। 

वजह नंबर 2 - ज्यादातर सैन्य तानाशाहों का राज होना 
पाकिस्तान बनने के बाद से अब तक वहां 30 साल से भी ज्यादा समय तक सैन्य तानाशाहों का शासन रहा है। पाकिस्तान में 4 सैन्य सरकारें बनीं और सत्ता का कंट्रोल जनरल अयूब खान, जनरल याहया खान, जनरल जिया-उल-हक और जनरल परवेज मुशर्रफ के पास रहा। डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि पाकिस्तानी सेना चाहती है कि हर एक मामले में उसकी सलाह से ही सरकार फैसले करे। यहां तक कि सेना से मतभेद रखने वाले नेता को वहां सत्ता से बेदखल करना बहुत आसान है। 

वजह नंबर 3 : खुफिया एजेंसी ISI का दुनिया के बड़े आतंकवादियों से लिंक
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकवाद का न सिर्फ समर्थन करती है, बल्कि आतंकियों की फंडिंग से लेकर हर चीज का इंतजाम करती है। आईएसआई नाम के लिए खुफिया एजेंसी है, लेकिन सही मायनों में ये वो एजेंसी है, जो आतंकियों को पालती-पोसती है। 2011 में जब पाकिस्तान के एबटाबाद में आतंकी ओसामा बिन लादेन मारा गया, तब ISI पर सवाल उठे थे। अमेरिकी एजेंसियों ने कहा था कि ISI को लादेन के पाकिस्तान में छुपे होने की पूरी जानकारी थी, लेकिन इसे छुपाया गया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में कई आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मोहम्मद खुलेआम चल रहे हैं। 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम को भी ISI का समर्थन मिला हुआ है। 

नंबर नंबर 4 : आतंकवाद के खिलाफ एक्शन न लेने की वजह से FATF ने ग्रे लिस्ट में रखा
मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को बैन कर उसके सरगना मसूद अजहर को इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित किया था। उस वक्त जानकारी सामने आई थी कि पाकिस्तान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बैन किए गए लोगों वाला तीसरा देश है। UN ने पाकिस्तान के 146 नागरिकों को बैन किया है, जो इराक और अफगानिस्तान के बाद सबसे ज्यादा है। 2019 में अमेरिका यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से स्वीकार किया था कि उनके देश में 30 से 40 हजार आतंकी हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में 40 आतंकी संगठन एक्टिव हैं। UN ने जिन आतंकियों को बैन कर रखा है, उनमें से कई आतंकियों को पाकिस्तान पूरी मदद करता है। FATF से बचने के लिए इन आतंकियों को जेल में तो डाल दिया जाता है, लेकिन सिर्फ नाम के लिए। 

वजह नंबर 5 : आतंकवाद के नाम पर अमेरिका से लेता है मोटी रकम 
पाकिस्तान की सेना आतंकवाद के खात्मे के नाम पर अमेरिका से फंड लेती रहती है। 11 सितंबर 2001 में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमलों के बाद से दुनिया में बहुत कुछ बदला। वहीं पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर जमी बर्फ भी पिघली। पाकिस्तान दिखाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी भी बन गया। इसके बदले में अमेरिका ने पाकिस्तानी आर्मी को खूब पैसे दिए, जिसके बल पर उसने आधुनिक हथियार खरीदे। 

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