सार

कोरोना महामारी में वायरस को लेकर दुनिया के कई देशों में रिसर्च चल रही है। ऐसी ही एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें ऐसे प्रोटीन को खोजा गया है जो बताता है कि कोरोना के कौन से मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी।  

नई दिल्ली. कोरोना महामारी में वायरस को लेकर दुनिया के कई देशों में रिसर्च चल रही है। ऐसी ही एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें ऐसे प्रोटीन को खोजा गया है जो बताता है कि कोरोना के कौन से मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी। यह एक तरह का इंडीकेटर है, जो बीमारी और संक्रमण की गंभीरता के बारे में जानकारी देता है। इस प्रोटीन का नाम suPAR है। 

मरीजों को पहले ही दे सकेंगे जरूरी इलाज
अमेरिका के रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर का कहना है कि प्रोटीन की मदद से डॉक्टर पहले ही मरीजों को जरूरी इलाज दे पाएंगे, ताकि गंभीर स्थिति से बचा जा सके। इससे कोरोना से मौतों का आंकड़ा कम हो सकता है। 

मरीज को घर भेजने में फैसला लेने में आसानी
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस प्रोटीन के स्तर से समझा जा सकता है कि किस मरीज को कौन से इलाज की जरूरत है और किसे घर भेजा जा सकता है। 

यह प्रोटीन शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रेरित करता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रोटीन शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रेरित करता है और बीमारी की गंभीरता को बढ़ने पर चेतावनी देता है। वैज्ञानिकों ने अस्पताल में भर्ती कोरोना के 15 मरीजों की जांच की तो उनमें suPAR प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ मिला। 

कैसे काम करता है यह प्रोटीन?
वैज्ञानिकों ने बताया, ऐसे मरीज जिनमें यह प्रोटीन 5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर या उससे कम मिला, उनकी हालत कंट्रोल में थी, लेकिन जिनमें प्रोटीन मानक से 18 से 85 फीसदी अधिक मिला, उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत थी। प्लाज्मा में इस प्रोटीन का अधिक होना यानी मरीज को वेंटिलेटर की अधिक जरूरत पड़ेगी।