सार

नेशनल कांफ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेचर्स के आंकड़ों के मुताबिक जहां 2019 में इस तरह के सिर्फ दो विधेयक लाए गए थे, 2020 में इनकी संख्या बढ़ कर 29 हो गई। 2021 में अभी तक 31 राज्यों में इस तरह के विधेयक लाए जा चुके हैं। 

वाशिंगटन। मानवाधिकारों (Human Rights) की दुहाई देने वाला अमेरिका (America) अपने देश में ट्रांसजेंडर्स (transgenders) के राइट्स को छीनने पर आमादा है। अमेरिका के टेक्सास राज्य (Texas) में पब्लिक स्कूलों में लड़कियों के खेलों में ट्रांसजेंडर लड़कियों के खेलने पर पाबंदी (ban) लगाया जा रहा है। इसके लिए टेक्सास में कानून लाया जा रहा है। राज्य के गवर्नर ग्रेग ऐबट (Greg Ebbot) ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी है। अगले साल 18 जनवरी से यह कानून टेक्सास में प्रभावी हो जाएगा। 

अमेरिका के कई राज्यों में इसके पहले ऐसा कानून लागू किया जा चुका है। रिपब्लिकन शासित कई राज्यों में ऐसा किया गया है। इस कानून को लागू करने का समर्थन कर रहे लोगों का तर्क यह है कि लड़कियों के मुकाबले ट्रांसजेंडर लड़कियों में अधिक क्षमता होती है इसलिए उनके खेलों में भाग लेने से समानता नहीं दिखता। उनका कहना है कि इस कानून से स्कूली खेलों में सबको बराबर अवसर मिलेगा। 

विरोध भी हो रहा...

हालांकि, तमाम संगठन और लोग इस तरह के प्रतिबंधों की निंदा करने के साथ इसे भेदभावपूर्ण बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ट्रांस महिलाएं या लड़कियां खेलों पर हावी हैं। ये कदम 'नफरत' की वजह से उठाए जा रहे हैं जिनका असली मकसद है सामाजिक रूढ़िवाद के प्रति पूरी तरह से समर्पित लोगों को उत्साहित करना।

अमेरिका के सात अन्य राज्यों में लागू है ऐसा कानून

अमेरिका के सात दूसरे राज्यों ने इसी साल सात इस तरह के कानून पारित किए हैं। मार्च 2020 में आइडहो ने पब्लिक स्कूलों और कॉलेजों में जन्म के समय महिला मानी गईं खिलाड़ियों की टीम के खिलाफ उन खिलाड़ियों के खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिन्हें जन्म के समय पुरुष माना गया हो। उसके बाद से रिपब्लिकन पार्टी ने इसे लेकर एक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत कर दी थी।

हालांकि, एक फेडरल अदालत ने आइडहो के बैन के लागू किए जाने पर रोक लगा रखी है। अदालत में इस प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी। लेकिन आइडहो के बाद अलाबामा, अरकांसॉ, फ्लोरिडा, मिसिसिपी, मोंटाना, टेनेसी और वेस्ट वर्जिनिया की विधायिकाओं ने भी ऐसे ही कानून पारित कर दिए। साउथ डकोटा के गवर्नर ने तो शासनादेश ही जारी कर दिया।

क्या कहते हैं आंकड़े?

नेशनल कांफ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेचर्स के आंकड़ों के मुताबिक जहां 2019 में इस तरह के सिर्फ दो विधेयक लाए गए थे, 2020 में इनकी संख्या बढ़ कर 29 हो गई। 2021 में अभी तक 31 राज्यों में इस तरह के विधेयक लाए जा चुके हैं। 

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