सार

Attack on Hindu minorities in Bangladesh बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदू अल्पसंख्यक आबादी संकट में है। फेसबुक पर विवादित पोस्ट के बाद वहां हिंसा भड़क गई। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन करने के बाद हिंदू मंदिरों, घरों व दूकानों पर हमला कर दिया।

ढाका। बांग्लादेश (Bangladesh) में फिर से धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। देश के दक्षिण-पश्चिमी (South-Western Bangladesh) हिस्से में फेसबुक पर एक पोस्ट के बाद मुस्लिम समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, विवादित पोस्ट के बाद हिंदू समुदाय के मंदिरों, दूकानों व कई घरों में तोड़फोड़ की गई। स्थितियों को काबू में करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। स्थितियां काबू में हैं लेकिन हिंदुओं के कई कई गांव खाली हो गए हैं, लोग दहशत के मारे इधर-उधर शरण लिए हुए हैं। घरों पर केवल बुजुर्ग लोग हैं जो डर में पल-पल गुजार रहे हैं। उधर, पुलिस ने फेसबुक पर पोस्ट करने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन हिंसा करने वालों में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

क्यों हिंदुओं को बनाया गया निशाना?

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक युवक ने फेसबुक पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया, जिससे मुसलमानों में गुस्सा फूट पड़ा। जुमे की नमाज के बाद पोस्ट को लेकर तनाव बढ़ गया। मुसलमानों के एक समूह ने दोपहर में प्रदर्शन किया। बाद में उन्होंने घरों पर हमला कर दिया। किसी हमलावर को गिरफ्तार नहीं किया गया था। पुलिस निरीक्षक ने कहा कि रात में स्थिति सामान्य थी।

फेसबुक पोस्ट डालने वाले युवक को किया गिरफ्तार

पुलिस ने फेसबुक पोस्ट को लेकर एक 20 वर्षीय कॉलेज छात्र को गिरफ्तार किया है। लोहागरा पुलिस स्टेशन के प्रमुख शेख अबू हेना मिलन ने बताया कि छात्र की पहचान आकाश साहा के रूप में हुई है, जिसे खुलना में हिरासत में लिया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिघलिया गांव के सलाहुद्दीन कोच्चि ने 15 जुलाई को आकाश पर इस्लाम को कमतर आंकने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। इस मामले में आकाश को कोर्ट में पेश किया गया था।

पुलिस का दावा स्थितियां सामान्य

नरेल के पुलिस अधीक्षक प्रबीर कुमार रॉय ने कहा कि कानून लागू करने वाले स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए काम कर रहे हैं। रॉय ने कहा कि हम घटना की जांच कर रहे हैं। हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। फिलहाल स्थिति सामान्य है। स्थानीय पुलिस स्टेशन के एक निरीक्षक हरन चंद्र पॉल के हवाले से स्थानीय ऑनलाइन मीडिया ने बताया कि शुक्रवार शाम को नारेल जिले के सहपारा गांव में कई घरों में तोड़फोड़ करने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी गोलियां चलाईं और उनमें से एक को आग लगा दी। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने शाम करीब साढ़े सात बजे हमले के दौरान गांव के एक मंदिर पर भी ईंटें फेंकी। उन्होंने मंदिर के अंदर के फर्नीचर को भी तोड़ दिया। द डेली स्टार अखबार ने बताया कि कई दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई।

अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों में लूटपाट

स्थानीय निवासी दीपाली रानी साहा के हवाले से कहा, "एक समूह ने हमारा सारा कीमती सामान लूट लिया, दूसरा समूह आया और हमारा दरवाजा खुला पाया। लूटने के लिए कुछ नहीं बचा था, उन्होंने हमारे घर में आग लगा दी। दीपाली का घर उन घरों और दर्जनों दुकानों में शामिल था, जिन्हें सहपारा गांव में तोड़ दिया गया या जला दिया गया।

दिघलिया संघ परिषद में आरक्षित सीट की एक पूर्व महिला सदस्य ने कहा कि हमले के बाद ज्यादातर सक्षम लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी घरों में ताला लगा है। कुछ परिवारों के बुजुर्ग ही घर में हैं। वे भी डरे हुए हैं।

एक लोकल अखबार ने गांव के राधा-गोविंदा मंदिर के अध्यक्ष 65 वर्षीय शिबनाथ साहा के हवाले से कहा कि पुलिस गांव में पहरा दे रही है, लेकिन हम उन पर भरोसा नहीं कर सकते। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं और उनमें से कई अफवाहों या सोशल मीडिया के माध्यम से फैली फर्जी पोस्ट के बाद हुए हैं।

पिछले साल भी फैली थी हिंसा

पिछले साल, बांग्लादेश में कुछ हिंदू मंदिरों में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान अज्ञात मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा तोड़फोड़ की गई थी, जिसके बाद सरकार को 22 जिलों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करने के लिए प्रेरित किया गया था, जब दंगों में चार लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।

8 सालों में साढ़े तीन हजार से अधिक हमले

कानूनी अधिकार समूह ऐन ओ सलीश केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2013 से सितंबर 2021 के बीच बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर 3679 हमले किए गए।