सार
शरीर में आम तौर पर संक्रमण तब फैलता है, जब बैक्टीरिया, वायरस या फंगी प्रवेश करते हैं और अपने गुणक बनाते हैं। वहीं, इनकी गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि शरीर में रोगाणु कितने प्रबल हैं।
नई दिल्ली. शरीर में आम तौर पर संक्रमण तब फैलता है, जब बैक्टीरिया, वायरस या फंगी प्रवेश करते हैं और अपने गुणक बनाते हैं। वहीं, इनकी गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि शरीर में रोगाणु कितने प्रबल हैं।
अब सिंगापुर की Nanyang Technological University के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीम ने संक्रमण को समझने का नया रास्ता सुझाया है। टीम ने ब्रोन्किइक्टेसिस के मरीजों के करीब 400 श्वसन नमूनों का अध्ययन किया है। इसमें सामने आया है कि शरीर में रोगाणु एक नेटवर्क के रूप में मौजूद होते हैं। जब रोगाणु एक दूसरे के साथ सहयोग करने के बजाय प्रतिस्पर्धा करते हैं, तो संक्रमण की गंभीरता इसका परिणाम हो सकती है।
इन श्वसन नमूनों से डेटा के सांख्यिकीय मॉडलिंग के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने पाया कि जब बैक्टीरिया, वायरस और फंगी के बीच प्रतिस्पर्धा होती है, तो खांसी और सांस फूलना अधिक बार होता है। यह तब होगा है जब रोगाणु एक दूसरे के साथ सहयोग के बजाय नकारात्मक असर डालते हैं।
NTU ली कोंग चियान स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर, संजय हरेश ने कहा, संक्रमणों के बारे में हमारी वर्तमान समझ यह है कि वे तब होते हैं जब हानिकारक रोगाणु हमारे शरीर में जाते हैं। उन्होंने कहा, यह मॉडल यह समझाने में विफल रहता है क्यों संक्रमण वाले कुछ रोगी एंटीबायोटिक पर प्रतिक्रिया देते हैं, जिसके लिए सूक्ष्मजीव प्रयोगशाला परीक्षण में प्रतिरोधी है। इसलिए हम यह बता रहे हैं कि रोगाणु नेटवर्क के रूप में मौजूद हैं, जहां बातचीत होती है और इस मामले में प्रतिरोधी एंटीबायोटिक एक अन्य सूक्ष्म जीव को लक्षित करता है जिसके साथ संक्रमण फैलाने वाला रोगाणु बातचीत कर रहा है।
उन्होंने कहा, इसलिए हम ऐसे क्रॉस स्टॉक को तोड़कर संभावित रूप से परिणामों में सुधार कर सकते हैं। हमारे अध्ययन के निष्कर्ष संक्रमण कैसे होते हैं, इस बारे में अधिक जानकारी देने वाला पहला कदम है।
संजय हरेश ने कहा, हालांकि, हमारी रिसर्च ब्रोन्किइक्टेसिस के रोगियों पर हुई, लेकिन हमारा मानना है कि यह अवधारणा सभी प्रकार के संक्रमणों पर लागू होती है, चाहें वह स्किन, लंग्स या ग्रेस्ट्रोइंटेस्टिनल संबंधी हो। संक्रमणों को देखने का यह तरीका संभावित रूप से संक्रमण के बारे में हमारी समझ को बदल देता है और उनके इलाज के नए तरीके पेश कर सकता है।
वहीं, इस रिसर्च को को-ऑथर और टेन टॉक सेंग हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड जॉन अबिशेगनादेन ने कहा, एकीकृत और समग्र पद्धति को लागू करके, यह अध्ययन श्वसन संक्रमण की हमारी समझ के लिए एक नई और ताजा दृष्टिकोण देता है। उन्होंने कहा, हमें इस रिसर्च से सही समय पर सही इलाज और अच्छे परिणाम के मार्गदर्शन करने के लिए अहम है।
रिसर्च में सामने आईं इन बातों को दुनिया की प्रमुख साइंटिफिक जर्नल नेचर मेडिसिन में अप्रैल में छपी थी। इस रिसर्च से वैज्ञानिकों को विशिष्ट रोगाणुओं के बजाय माइक्रोबियल इंटरैक्शन को लक्षित करके संक्रमण से निपटने का एक नया तरीका विकसित करने के करीब एक कदम आगे आने में मदद मिलेगी।
जबकि रिसर्च में लंग्स के संक्रमण वाले रोगियों को देखा गया, शोधकर्ताओं का मानना है कि संक्रमण कैसे होता है, यह सभी प्रकार के संक्रमणों पर लागू होता है, और इन संक्रमणों के इलाज के नए तरीके सामने आ सकते हैं।
क्या हैं नए इलाज की संभावनाएं
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि माइक्रोबियल इंटरैक्शन संभावित रूप से रोगियों में बार-बार आ जाते हैं। रिसर्च में सामने आए नतीजों के आधार पर वैज्ञानिकों ने एक ऑनलाइन उपकरण विकसित किया है, यह चिकित्सकों को रोगाणुओं के आनुवंशिक अनुक्रमों के माध्यम से अपने स्वयं के रोगी नमूनों में माइक्रोबियल इंटरैक्शन का विश्लेषण करने में मदद देगा।
NTU के असिस्टेंट प्रोफेसर चोटिरमल ने कहा, हम व्यक्तिगत रोगाणुओं के बजाय नेटवर्क के रूप में संक्रमण को देखने का एक नया तरीका प्रस्तावित कर रहे हैं। एक स्थापित नेटवर्क के भीतर माइक्रोबियल इंटरैक्शन को लक्षित करना अधिक विवेकपूर्ण एंटीबायोटिक उपयोग को बढ़ावा दे सकता है और बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकने में मदद कर सकता है।
टीम मौजूदा समय में वायु मार्ग के भीतर माइक्रोबायोम को विनियमित करके ब्रोन्किइक्टेसिस के इलाज के लिए प्रोबायोटिक्स के इस्तेमाल की संभावना तलाश रही है।
रिसर्च टीम में सिंगापुर के एनटीयू एलकेसी मेडिसिन, टैन टॉक सेंग अस्पताल, चांगी जनरल हॉस्पिटल और सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल, मलेशिया में मलाया यूनिवर्सिटी, Italy की मिलान यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया में यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी और स्कॉटलैंड में Dundee यूनिवर्सिटी और यूके की Exeter यूनिवर्सिटी शामिल है।