Bangladesh Politics News: शरीफ उस्मान हादी को बांग्ला के राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम के बगल में दफनाए जाने के बाद बांग्लादेश में तीखी बहस छिड़ गई है। समर्थक इसे हादी को सम्मान मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे राजनीति से प्रेरित फैसला बता रहे हैं। 

Bangladesh Osman Hadi Burial Controversy: बांग्लादेश में इंकिलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी के नमाज-ए-जनाजा के दिन ढाका पूरी तरह हाई अलर्ट पर रहा। पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन और सेना की तैनाती हर चौराहे पर दिखी। हादी की हत्या के बाद हालात पहले ही तनावपूर्ण थे। उनके समर्थकों के उग्र प्रदर्शन ने राजधानी को हिंसा की चपेट में ले लिया था। कई सांस्कृतिक केंद्रों पर तोड़फोड़ हुई, मीडिया संस्थानों पर हमले हुए और अलग-अलग शहरों में भारतीय मिशनों को भी निशाना बनाया गया। सरकार के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण समय था, क्योंकि यह सब फरवरी 2026 के आम चुनाव से ठीक पहले हो रहा है। इससे भी ज्यादा सवाल इस बात को लेकर रहा कि उस्मान हादी को ढाका यूनिवर्सिटी मस्जिद परिसर में राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम के बगल में क्यों दफनाया गया, क्योंकि करीब 50 साल बाद ऐसा हुआ।

शरीफ उस्मान हादी कौन थे?

1993 में झालोकाठी जिले में जन्मे शरीफ उस्मान हादी ढाका यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति में उभरे। जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान इंकिलाब मंच के प्रवक्ता के तौर पर वे देशभर में पहचाने जाने लगे। उनकी पहचान एक कट्टर एंटी-शेख हसीना, एंटी-अवामी लीग और एंटी-इंडिया वक्ता की थी। मंच पर उनका अंदाज तेज, शब्द आग जैसे और भीड़ को उकसाने वाला होता था। वे 2026 का चुनाव ढाका-8 सीट से निर्दलीय लड़ने की तैयारी में थे। 12 दिसंबर को बैटरी रिक्शा में सफर के दौरान अज्ञात हमलावरों ने हादी पर गोलियां बरसाईं। गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। बताया गया कि कथित हमलावर ने वारदात से एक रात पहले कहा था, 'कुछ ऐसा होने वाला है जो पूरे बांग्लादेश को हिला देगा।'

उस्मान हादी की तुलना जरूल इस्लाम से क्यों?

उस्मान हादी की रैलियों में काजी नजरूल इस्लाम की बिद्रोही कविता अक्सर ही सुनने को मिलती थी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हादी, नजरूल की पंक्तियों को हथियार बनाकर सत्ता के खिलाफ हुंकार भरते दिखते हैं। अब जब हादी को नजरूल की कब्र के पास दफनाया गया, तो समर्थकों ने उन्हें आज का बिद्रोही बताना शुरू कर दिया।

काजी नजरूल के पास क्यों दफनाए गए उस्मान हादी?

ढाका यूनिवर्सिटी सिंडिकेट की आपात बैठक में यह फैसला लिया गया कि हादी को नजरूल इस्लाम के बगल में दफनाया जाएगा। सरकारी विभाग, डीयूसीएसयू और हादी के परिवार की सहमति से यह निर्णय हुआ। लेकिन इसके बाद देश दो हिस्सों में बंट गया। एक पक्ष कहता है कि हादी ने सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई, इसलिए वे शहीद हैं। दूसरा पक्ष मानता है कि नजरूल सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक थे, जबकि हादी पर उग्र राजनीति और पहचान आधारित नफरत को बढ़ावा देने के आरोप हैं। सोशल मीडिया पर बहस अब भी जारी है।

मुहम्मद यूनुस का बयान और बढ़ती संवेदनशीलता

अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस खुद जनाजे में पहुंचे। उन्होंने कहा, 'हादी हमारे दिलों में हैं और जब तक बांग्लादेश है, वे याद किए जाते रहेंगे।' इस बयान ने विपक्ष को और मुखर कर दिया। सवाल उठने लगे कि क्या सरकार किसी एक विचारधारा को बढ़ावा दे रही है?