पीएम मोदी ने ब्रिक्स समिट में वैश्विक संस्थाओं में सुधार की मांग की, ग्लोबल साउथ के कम प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाए और दोहरे मानदंडों की आलोचना की।

BRICS Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। अपने संबोधन में पीएम ने वैश्विक संस्थाओं की संरचना में सुधार की वकालत की। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों के हल के लिए ग्लोबल साउथ का बेहतर प्रतिनिधित्व जरूरी है।

नरेंद्र मोदी ने कहा, "20वीं सदी में बनाए गए वैश्विक संस्थानों में दुनिया की आबादी के दो तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। आज जो देश दुनिया की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे रहे हैं उन्हें फैसला लेने वाली टेबल पर जगह नहीं मिला है। यह सिर्फ प्रतिनिधित्व का मामला नहीं है। यह विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है। बिना ग्लोबल साउथ के ये संस्थान उस मोबाइल की तरह है, जिसमें SIM कार्ड तो है, लेकिन नेटवर्क नहीं।"

पीएम मोदी ने निरंतर हाशिए पर रखे जाने पर प्रकाश डाला और कहा कि ग्लोबल साउथ अंतरराष्ट्रीय व्यवहार में "दोहरे मानदंडों का शिकार" बना हुआ है। उन्होंने विकास और सुरक्षा को नियंत्रित करने वाली वैश्विक प्रणालियों में निष्पक्षता के अभाव की ओर भी ध्यान दिलाया।

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उन्होंने कहा, "ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार रहा है। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों के वितरण की बात हो या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की। ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं दी गई है। जलवायु वित्त, सतत विकास और टेक्नोलॉजी तक पहुंच जैसे मुद्दों पर ग्लोबल साउथ को अक्सर नाममात्र के इशारों के अलावा कुछ नहीं मिला है।"

नरेंद्र मोदी ने कहा- वैश्विक संस्थानों में करना होगा सुधार

नरेंद्र मोदी ने कहा, "20वीं शताब्दी में बनाए गए वैश्विक संस्थान 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकते। चाहे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्ष, महामारी, आर्थिक संकट या साइबरस्पेस में नई उभरती चुनौतियां हों, इन संस्थाओं के पास इनका कोई समाधान नहीं है।"

उन्होंने कहा, “AI के समय में जब टेक्नोलॉजी हर सप्ताह अपडेट होती है। एक वैश्विक संस्थान के लिए यह स्वीकार्य नहीं है कि 80 साल में एक बार भी अपडेट नहीं हो। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते।”