सार
India China Bangladesh News in Tamil: हिंद महासागर में हमेशा दादागिरी दिखाना और पड़ोसी देशों को धमकाना चीन का काम है। अपने आस-पास के देशों को अपने जाल में फंसाना चीन को अच्छी तरह आता है। हिंद महासागर ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों में भी चीन अपना दबदबा बढ़ा रहा है। भारत अब इसी कोशिश में है कि कैसे चीन के मंसूबों पर पानी फेरा जाए।
दक्षिण एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव में चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इन देशों में बुनियादी ढांचे, व्यापार और सैन्य सहयोग के ज़रिए चीन अपना जाल बिछा रहा है। पड़ोसी देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है।
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए, भारत को अपने पड़ोसी देशों से दुश्मनी मोल लेने के बजाय उनके साथ दोस्ती बढ़ानी होगी। भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक गठबंधन, रणनीतिक साझेदारी और सुरक्षा सहयोग जैसे कदम उठाने होंगे ताकि चीन के प्रभाव को कम किया जा सके।
पहले चरण में, भारत को म्यांमार और बांग्लादेश से उठने वाली समस्याओं का समाधान करना होगा। म्यांमार में सैन्य शासन चल रहा है। इसके अलावा, भारत को पाकिस्तान की चुनौतियों से भी निपटना होगा।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है और प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की ज़िम्मेदारी संभाली है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता ने दूसरे देशों के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं। भारत इस स्थिति पर नज़र रखे हुए है। चीन से निपटने के लिए, भारत को बांग्लादेश जैसे लोकतांत्रिक देश के साथ हाथ मिलाना होगा।
क्वाड संगठन
इस स्थिति से निपटने के लिए 2007 में क्वाड संगठन बनाया गया था। इस संगठन में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका सदस्य देश हैं। इस संगठन की शुरुआत तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने की थी। उन्हें तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी समर्थन प्राप्त था।
भारत के साथ नज़दीकी दिखा रहा बांग्लादेश
इस बीच, बांग्लादेशी सेना प्रमुख वाकर उज़ ज़मान ने कहा है कि भारत बांग्लादेश का एक महत्वपूर्ण मित्र देश है। शेख हसीना, जो बांग्लादेश से बाहर हैं, ने ही वाकर को सेना प्रमुख नियुक्त किया था। वाकर ने ही हसीना को बिना किसी परेशानी के बांग्लादेश से बाहर जाने में मदद की थी।
वाकर उज़ ज़मान ने बांग्लादेश के अखबार प्रोथोम अलो को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ''हमारा सबसे महत्वपूर्ण मित्र देश भारत है। हम भारत पर निर्भर हैं। भारत को भी हमसे फायदा होता है। कई भारतीय यहां काम करते हैं। उसी तरह, कई बांग्लादेशी इलाज के लिए भारत जाते हैं। देशों के बीच फायदे तलाशना स्वाभाविक है। लेकिन दबदबा बनाने से देशों के बीच एकता कम होती है। देशों के रिश्तों में समानता होनी चाहिए। किसी एक देश को दूसरे देश पर अपना दबदबा नहीं बनाना चाहिए।''
हिंद महासागर व्यापार पर असर:
बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन का असर भारत के पूर्वी राज्यों पर पड़ सकता है। इसके अलावा, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के व्यापार और हिंद महासागर के व्यापार पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। लंबे समय से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि इस इलाके में निजी सेनाएं भी सक्रिय हैं।
इस क्षेत्र में स्थित म्यांमार में 2021 में सेना ने आंग सान सू की की सरकार को उखाड़ फेंका था। म्यांमार से भागे रोहिंग्या मुसलमान भारत और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में घुसपैठ कर रहे हैं। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि अवैध रूप से भारत में घुसने वाले इन लोगों को नागरिकता नहीं दी जाएगी। बांग्लादेश भी इनका समर्थन नहीं करता।
बांग्लादेश और म्यांमार की अराकान आर्मी (AA) के बीच नज़दीकी रिश्ते भारत की सैन्य और प्रशासनिक योजनाओं के लिए चुनौती बन सकते हैं। इसके कुछ उदाहरण देखते हैं।
सित्तवे बंदरगाह का महत्व
म्यांमार के रखाइन राज्य में स्थित सित्तवे गहरे पानी का बंदरगाह, भारत के कालादान मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बंगाल की खाड़ी के रास्ते जोड़ने वाला प्रोजेक्ट है।
बांग्लादेश-अराकान सहयोग का असर
बांग्लादेशी सेना और अराकान आर्मी के बीच संबंध रखाइन क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं। यह म्यांमार में भारत के प्रोजेक्ट्स और सुरक्षा प्रबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
भारत पर हमला
भारत को सीमाओं पर अपनी रणनीतियों को लेकर सतर्क रहना होगा। चीन की मदद से म्यांमार की अराकान आर्मी के भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ करने की संभावना है। चीन के म्यांमार के कई सशस्त्र समूहों के साथ संबंध हैं, जिससे भारत में अशांति फैलाने की आशंका है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत को अपने पड़ोसी देशों म्यांमार और बांग्लादेश के साथ रिश्ते मज़बूत करने होंगे।
भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में म्यांमार से आने वाले विद्रोहियों से निपटना ज़रूरी है। दोनों देश 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। सीमा पर सक्रिय विद्रोही समूहों से लड़ने के लिए भारत, म्यांमार की सेना को प्रशिक्षण और सैन्य सहायता प्रदान करता है।
म्यांमार में भारत का निवेश:
भारत ने म्यांमार में गैस, तेल जैसे कई क्षेत्रों में निवेश किया है। चीन के दखल को कम करने के लिए भारत को म्यांमार में ज़्यादा ध्यान देना होगा। चीन ने म्यांमार में बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट शुरू किया है। इससे भारत को नुकसान हो सकता है, इसलिए भारत भी म्यांमार में अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है।
बांग्लादेश में चीन का दखल:
बांग्लादेश और म्यांमार, दोनों देशों में चीन का काफ़ी निवेश है, जिससे आर्थिक और राजनीतिक रूप से चीन, भारत के लिए चुनौती बन गया है। बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार चीन है। 2022 में, दोनों देशों के बीच व्यापार 27 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का था। मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक सामानों का ज़्यादातर आयात चीन से होता है।
2021 में, चीन ने बांग्लादेश के 97% निर्यात पर टैक्स में छूट दी थी, जिसमें कपड़े, चमड़े का सामान और कृषि उत्पाद जैसे प्रमुख सामान शामिल थे। इससे बांग्लादेश के निर्यात में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है।
मुख्य बुनियादी ढांचा परियोजनाएं:
बांग्लादेश में बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट बनाने में चीन की अहम भूमिका है।
पद्मा पुल रेल संपर्क परियोजना: बांग्लादेश को पड़ोसी देशों से जोड़ना
ढाका हवाई अड्डा विस्तार परियोजना: हवाई अड्डे की क्षमता बढ़ाना
बंदरगाह परियोजनाएं: चटगांव बंदरगाह का आधुनिकीकरण और पायरा गहरे पानी के बंदरगाह का विकास
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs):
चटगांव में स्थित चीन-बांग्लादेश मैत्री औद्योगिक पार्क जैसे औद्योगिक केंद्र बनाने में चीनी कंपनियां सक्रिय हैं। इस तरह चीन, बांग्लादेश में आर्थिक रूप से घुसपैठ करके भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
म्यांमार में चीन का ज़्यादा निवेश:
मुख्य बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, चीन, म्यांमार में सबसे बड़ा निवेशक है।
मुख्य परियोजनाएं:
क्यौकप्यू गहरे पानी का बंदरगाह: चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक अहम हिस्सा, जो म्यांमार को हिंद महासागर से जोड़ता है। इससे चीन, समुद्री व्यापार के लिए मलक्का जलडमरूमध्य पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है।
म्यांमार में चीन की योजना:
चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा (CMEC): मध्य म्यांमार को युन्नान प्रांत से जोड़ना, व्यापार और बुनियादी ढांचे के संबंधों को बेहतर बनाना।
जलविद्युत परियोजनाएं: मित्सोने बांध के निर्माण का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद चीन इस परियोजना को लागू करने पर तुला हुआ है।
इस प्रकार, चीन श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में अपना दबदबा बनाए हुए है, और साथ ही चुपचाप म्यांमार, बांग्लादेश और मालदीव में आर्थिक और राजनीतिक रूप से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।