जापान के सेन्सो-जी मंदिर में एक चीनी टूरिस्ट ने लकी ड्रॉ के लिए दान पेटी में असली पैसे की जगह 'नरक के पैसे' डाल दिए। इस हरकत को जापानी रीति-रिवाजों का घोर अपमान माना गया, जिससे उसकी भारी आलोचना हुई।
कभी-कभी विदेशी टूरिस्टों की कुछ हरकतें उनके अपने देश के लिए शर्मिंदगी का कारण बन जाती हैं। ऐसे ही एक चीनी टूरिस्ट की हरकत पर जापान में खूब बवाल मचा है। शिकायत है कि जापान के टोक्यो में मशहूर सेन्सो-जी मंदिर में लकी ड्रॉ के लिए बने दान पेटी में एक चीनी टूरिस्ट ने 'नरक के पैसे' डाल दिए। 'जॉस पेपर', जो पारंपरिक रूप से मरे हुए लोगों के लिए जलाया जाता है, उसे ही जापानी लोग नरक का पैसा कहते हैं।
किस्मत की बांस की छड़ें
सेन्सो-जी मंदिर में आने वाले लोगों को 100 लकी बांस की छड़ों में से एक चुनने के लिए 100 येन देने होते हैं। इसके बाद, उन्हें चुनी हुई छड़ी के हिसाब से एक लकी नोट मिलता है। वीडियो में एक चीनी टूरिस्ट ज़रूरी पैसे की जगह कागज़ डालकर 68 नंबर की छड़ी उठाता है। उसे जो लकी नोट मिला, उस पर 'किची' लिखा था, जिसका मतलब 'शुभ' होता है। रिपोर्टों के मुताबिक, लकी स्टिक उठाने से पहले उस आदमी ने कहा, 'जापान की लकी स्टिक्स हम चीनियों को आशीर्वाद नहीं देंगी, हम चीनियों की अपनी किस्मत है और चीनी रीति-रिवाज जापान से बिल्कुल अलग हैं।' साथ ही, वीडियो बनाने वाले उसके दोस्त ने यह भी कहा कि वे 'शैतानों को धोखा' दे रहे हैं।
तीखी प्रतिक्रिया
अपने मरे हुए प्रियजनों को 'शैतान' कहना और मंदिर की दान पेटी में नरक के पैसे डालना, इन दोनों बातों पर जापान में भारी विरोध शुरू हो गया। इसके बाद, चीनी टूरिस्टों की जमकर आलोचना होने लगी। कई लोगों ने कहा कि मरे हुए लोगों के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज़ का इस्तेमाल आशीर्वाद पाने के लिए करना धार्मिक रीति-रिवाजों का अपमान है। लोगों ने यह भी याद दिलाया कि जब विदेशी टूरिस्ट किसी देश में जाते हैं, तो उन्हें कम से-कम वहां के रीति-रिवाजों और संस्कृति का सम्मान करना सीखना चाहिए। जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं कट्टर दक्षिणपंथी सनाई ताकाइची ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान टूरिस्टों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया था।
