सार
सीरिया के कुर्द लड़ाकों ने कहा है कि तुर्की संघर्षविराम की शर्तों को नहीं मान रहा है और संघर्ष विराम प्रभावी होने के 30 घंटे बाद भी पूर्वोत्तर सीरिया में सीमा पर स्थित एक प्रमुख नगर में की गई घेराबंदी को हटाने से इनकार कर रहा है।
बेरूत. सीरिया के कुर्द लड़ाकों ने कहा है कि तुर्की संघर्षविराम की शर्तों को नहीं मान रहा है और संघर्ष विराम प्रभावी होने के 30 घंटे बाद भी पूर्वोत्तर सीरिया में सीमा पर स्थित एक प्रमुख नगर में की गई घेराबंदी को हटाने से इनकार कर रहा है। ‘सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज’ ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ शनिवार को मुलाकात की थी जिन्होंने तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के साथ वार्ता की थी और उनसे कहा था कि वह पांच दिन का संघर्षविराम लागू करने की जिम्मेदारी लें।
संघर्षविराम के बाद भी होती रही गोलीबारी
इस संघर्षविराम की शुरुआत उतनी अच्छी नहीं रही जहां रास अल ऐन के आस-पास गोलीबारी और गोलाबारी की घटनाएं होती रहीं। यह सरहदी नगर से ही साफ होगा कि करार अमल में आया या नहीं। करार में तुर्की ने कुर्द लड़ाकों से सीमा क्षेत्र को खाली करने को कहा है। ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने शनिवार को कहा कि तुर्की समर्थित सीरियाई लड़ाकों ने शुक्रवार को एक मेडिकल काफिले को रास अल ऐन तक पहुंचने से रोका था।
राष्ट्रपति ट्रंप की हो रही आलोचना
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीरिया मुद्दे को लेकर हो रही आलोचना को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। आलोचकों का कहना था कि सीरिया से सैनिकों को वापस बुलाना अमेरिका की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहा है, कुर्द सहयोगियों को धोखा दे रहा है और इस्लामिक स्टेट के फिर उठ खड़े होने की आशंका को प्रबल कर रहा है। उन्होंने संघर्ष विराम को लेकर हुए समझौते के लिए अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि पिछले कुछ दिनों में उनके विचार में जबर्दस्त सफलता हासिल हुई है। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने पश्चिम एशिया में तेल पर नियंत्रण पा लिया है।
उनका यह दावा वहां अब तक हुई किसी तरह की प्रगति से कहीं से भी जुड़ा हुआ नहीं लगता है। ट्रंप ने कहा कि दोनों पक्ष इच्छाशक्ति दिखा रहे हैं लेकिन उनका यह तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के बयान के उलट मालूम होता है जिन्होंने कहा है कि अगर कुर्द बल तथाकथित “सेफ जोन” से पीछे नहीं हटते तो वह फिर से सैन्य अभियान शुरू करेंगे।
[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]