1986 के परमाणु हादसे वाले चौथे रिएक्टर के अवशेषों को ढकने वाले सुरक्षा कवच पर ड्रोन गिरा। विकिरण न फैलने से बड़ा हादसा टला।

कीव: चेरनोबिल परमाणु संयंत्र के सुरक्षा कवच पर एक ड्रोन गिरा। 1986 के परमाणु हादसे वाले चौथे रिएक्टर के अवशेषों को सुरक्षित रखने वाले 'न्यू सेफ कन्फाइनमेंट' (एनएससी) पर यह ड्रोन हमला हुआ। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने इसकी पुष्टि की है। यूक्रेन ने इसके पीछे रूस का हाथ होने का आरोप लगाया है।

ज़ेलेंस्की ने कहा कि यह एक उच्च विस्फोटक क्षमता वाला ड्रोन था और परमाणु केंद्रों को निशाना बनाना एक भयानक आपदा का कारण बन सकता है। उन्होंने इस ड्रोन हमले को आतंकवाद बताया। इस घटना ने यूक्रेन के परमाणु केंद्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

ड्रोन गिरने के बाद आग लग गई, लेकिन जल्द ही उसे बुझा दिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। दमकल कर्मियों ने तुरंत मौके पर पहुँचकर आग पर काबू पा लिया। सुरक्षा कवच को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन विकिरण के रिसाव की कोई खबर नहीं है। किसी के हताहत होने की भी सूचना नहीं है। IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि एजेंसी इस मामले पर कड़ी नज़र रख रही है।

26 अप्रैल 1986 को चेरनोबिल के रिएक्टर 4 में विस्फोट हुआ था। यह इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटनाओं में से एक थी। विकिरण को रोकने के लिए कंक्रीट और स्टील का एक विशाल सुरक्षा कवच बनाया गया था। इसी पर रूस का ड्रोन गिरा है।

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