सार
नीदरलैंड के वगेनिंगेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि मंगल और चंद्रमा पर उगाई गई फसल से बीज भी प्राप्त किए जाने की संभावना है ताकि नयी फसल ली जा सके।
लंदन. नासा के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम रूप से मंगल ग्रह और चंद्रमा जैसा वातावरण और मृदा तैयार कर उसमें फसल उगाने में सफलता पाई है। उनका मानना है कि यदि भविष्य में लाल ग्रह (मंगल) और चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाई जाती हैं तो उनके लिए वहां खाद्य पदार्थ उगाए जा सकेंगे।
टमाटर और मूली सहित उगाई ये फसलें
नीदरलैंड के वगेनिंगेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि मंगल और चंद्रमा पर उगाई गई फसल से बीज भी प्राप्त किए जाने की संभावना है ताकि नयी फसल ली जा सके। उन्होंने हलीम, टमाटर, मूली, राई, क्विनोआ, पालक और मटर समेत दस अलग-अलग फसल उगाई।
आर्टिफिशियल मिट्टी में की रिसर्च
वगेनिंगेन विश्वविद्यालय के वीगर वेमलिंक ने कहा, “जब हमने कृत्रिम रूप से तैयार की गई मंगल ग्रह की मिट्टी में उगे पहले टमाटरों को लाल होते देखा तो हम उत्साह से भर गए थे। इसका मतलब था कि हमने सतत कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं।” शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह और चंद्रमा की धरती के ऊपरी आवरण से ली मिट्टी में सामान्य मृदा मिलाकर कृत्रिम रूप से ऐसा वातावरण विकसित किया था। ओपन एग्रीकल्चर नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार पालक को छोड़कर दस में से नौ फसल अच्छी तरह विकसित हुईं जिन्हें खाया भी जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि मूली, हलीम और राई की फसल से पैदा हुए बीज को सफलतापूर्वक अंकुरित कर देख लिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि मानव मंगल या चंद्रमा पर बसने जाएंगे तो वे अपनी फसल उगा सकेंगे।
[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]