भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके साथी धरती पर लौट रहे हैं। उन्हें आने में करीब 23 घंटे लगेंगे। इस दौरान अंतरिक्ष यान की रफ्तार 28163 km/h तक पहुंच सकती है। उसे 2000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी सहनी पड़ सकती है।
Shubhanshu Shukla: ISS (International Space Station) में करीब 20 दिन रहने के बाद भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके साथी धरती पर लौटने वाले हैं। उन्हें एलन मस्क की कंपनी SpaceX का अंतरिक्षयान ड्रैगन वापस लाएगा। अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिका के कैलिफोर्निया के तट पर उतरा जाएगा। इस यात्रा में करीब 23 घंटे लगेंगे।
ISS से अनडॉक हुए शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला ISS से अनडॉक हो गए हैं। इसके साथ ही उनकी पृथ्वी तक की लंबी यात्रा शुरू हो गई है। वह सोमवार शाम 4:35 बजे स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से अपने साथी एक्सिओम-4 (Ax-4) क्रूमेट्स के साथ रवाना हुए।
अंतरिक्ष से लौटना है चुनौतीपूर्ण
अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की तुलना में लौटाना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। वापस आते समय अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करना होता है। इस दौरान हवा के घर्षण से बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है। अंतरिक्ष यान को इस गर्मी से बचाने के लिए खास गर्मी रोधक कवच से ढंका जाता है। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को भी इस चुनौती का सामना करना होगा।
SpaceX ने सोमवार को बयान जारी कर बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन से दूर जाने के लिए SpaceX कई बार डिपार्चर बर्न करेगा। इसके बाद यह अपनी कक्षा की ऊंचाई घटनाएगा। इससे यह धरती के करीब आएगा। इसके बाद ट्रंक हटाएगा और कैलिफोर्निया के तट पर स्पलैशडाउन के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करेगा।
कैसे अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर लाएगा SpaceX का Dragon यान?
धरती पर लौटने के समय SpaceX के Dragon अंतरिक्षयान की रफ्तार करीब 28163 km/h तक पहुंच जाएगी। धरती पर लौटते समय अंतरिक्षयान कई बार अपने इंजन को चालू करेगा। यह इंजन से मिलने वाली ताकत का इस्तेमाल एंटी थ्रस्ट के लिए करेगा। इससे यान की रफ्तार को पहले करीब 480 km/h और आखिर में 25 km/h तक धीमा किया जाएगा। अंत में पैराशूट खुलेंगे।
पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने से पहले क्रू ड्रैगन अपने धड़ वाले हिस्से को अलग कर देगा। इसके बाद डीऑर्बिट बर्न अंजाम देने की तैयारी करेगा। डीऑर्बिट बर्न के दौरान अंतरिक्ष यान अपने इंजनों को चालू करेगा। इसका इस्तेमाल यान अपनी रफ्तार कम करने में करेगा।
घरती पर लौटते समय 2000 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकता है अंतरिक्ष यान
जैसे ही ड्रैगन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, उसे बहुत अधिक घर्षण का अनुभव होगा। इससे यान का बाहरी भाग लगभग 2000 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकता है। कैप्सूल के बाहरी भाग पर मिश्र धातुओं का कवर लगाया गया है। यह बहुत अधिक गर्मी सह सकता है। इससे अंदर मौजूद अंतरिक्षयात्री सुरक्षित रहते हैं।
अधिकतम तापमान सहने के बाद ड्रैगन धीरे-धीरे धीमा होगा। धरती पर उतरने से पहले यह करीब 5,000 मीटर की दूरी पर दो ड्रोग पैराशूट तैनात करेगा। इससे यान को स्थिर होने में मदद मिलेगी। इसके बाद चार और पैराशूट खुलेंगे। इससे यान धीरे-धीरे नीचे आएगा।
ड्रैगन यान का मॉड्यूल (जिसमें अंतरिक्षयात्री रहते हैं) पानी में उतरेगा। कैप्सूल से पानी से सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। इसके बाद शुक्ला और उनके साथियों को कम से कम 10 दिनों तक मेडिकल जांच और अनुकूलन से गुजरना होगा।
