सार
पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने व जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित राज्यों में विभाजित किए जाने के मामले को लेकर यूएन में पहुंचा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को कश्मीर के फैसले को अस्वीकार करने के लिए पत्र लिखा है।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान का कश्मीर अलाप समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। जिसका नतीजा है कि हर मंचों पर दरकिनार किए जाने के बाद भी पाकिस्तान एक बार फिर कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने व जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित राज्यों में विभाजित किए जाने के मामले को लेकर यूएन में पहुंचा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को कश्मीर के फैसले को अस्वीकार करने के लिए पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार ने हटाया था धारा 370
केंद्र सरकार द्वारा संसद में 5 अगस्त को घोषणा अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के विशेष दर्जे को रद्द करने का बिल पेश किया था। जिसके बाद 31 अक्टूबर को दोनों केंद्र शासित प्रदेश मूर्त रूप में आ गए। आपको बता दें कि सरकार के घोषणा के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में राज्य का पुर्नगठन किया गया था।
कश्मीर मसले को उठाने की मांग
पाक विदेश मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री कुरैशी ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक और व्यापक पत्र लिखा है। जिसमें कश्मीर के मसले को उठाने की मांग की गई है। पाकिस्तान के इस पत्र को सुरक्षा परिषद के आधिकारिक दस्तावेज के रूप में प्रसारित किया गया है।
क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बताया खतरा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने अपने पत्र में, भारत और पाकिस्तान (UNMOGIP) में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को मजबूत बनाने के आह्वान को दोहराने के अलावा जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बारे में पाकिस्तान की अस्वीकृति से अवगत कराया। अन्य मुद्दों के अलावा, कुरैशी ने सुरक्षा परिषद से इस क्षेत्र की बिगड़ती स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की मांग किया। जिसमें उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा है ।
पहले भी लिख चुका है पत्र
विदेश कार्यालय ने कहा कि पत्र में, उन्होंने यह भी कहा कि मेरा नया संचार 1, 6, 13 और 26 अगस्त इसके साथ ही 16 सितंबर के उनके पत्रों की निरंतरता है। जहां उन्होंने कश्मीर में मौजूदा घटनाओं पर ध्यान आकर्षित किया। जिसमें इसके "अवैध रूप से विभाजन" और नियंत्रण रेखा पर निरंतर पलायन भी शामिल था।
विभिन्न मंचों पर मांग रहा सहयोग
आपको बता दें कि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया। उसके बाद से पाकिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई विदेशी देशों में पहुंच रहा है। इमरान खान सरकार ने कश्मीर मुद्दे में विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों से हस्तक्षेप की भी मांग की थी, हालांकि, कोई भी देश "द्विपक्षीय मामले" में मध्यस्थता करने के लिए सहमत नहीं हुआ।